महाभारत काल में भी होते अवैध संबंध, इन रानियों ने देवताओं और ऋषियों से बनाया था गुप्त संबंध

महाभारत एक ऐसा दिव्य पौराणिक महाकाव्य है जिसे जो जितना भी जानता है,उसे इसके बारे में और ज्यादा जानने की इच्छा प्रकट होती है। महाभारत महाकाव्य पर दुनिया में सबसे ज्यादा चर्चा होती है। यह ग्रन्थ अपने में ना जाने कितने रहस्य और ज्ञान को समेटे हुए हैं।

महाभारत ग्रंथ में कई ऐसे रहस्य छुपे हुए हैं, जिनके बारे में आज तक सही जानकारी और इसका रहस्य लोगों के समझ में नहीं आया है, या फिर महाभारत के इस रहस्य के बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं। इस ग्रन्थ से जुड़े एक यैसे ही रहस्य के बारे में बता रहें है। बता रहें है आपको महाभारत की उन राजकुंअरियोँ के बारे में जिन्होंने बनाये थे… ‘अनैतिक सबंध’। महाभारत में कई राजकुमारियां ऐसी थी जिन्होंने अनैतिक संबंध बनाए, या यूं कहें कि उन्हें अनैतिक संबंध बनाना पड़ा था। ‘अनैतिक संबंध’ से मतलब निकलता है कि पति के रहते हुए रानी और राजकुमारियों को किसी दूसरे पुरुष के साथ संभोग करके (संबंध बनाकर) बच्चों को जन्म देना पड़ा।
आज हम आपको अपने इस पोस्ट में महाभारत के कुछ ऐसे ही राजकुमारियों के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने अनैतिक संबंध बनाए थे। सबसे पहले हम आपको बता रहे हैं महाभारत की एक बहुत ही प्रमुख पात्र ‘मत्स्यगंधा’ के बारे में। जो आगे चलकर सत्यवती के नाम से जानी गई। सत्यवती बचपन से ही बहुत खूबसूरत थी। जिस कारण सत्यवती की खूबसूरती पर राजा शांतनु उसपर पर मोहित हो गए। और सत्यवती से विवाह कर लिया। विवाह के बाद सत्यवती और शांतनु के दो पुत्र हुए… विचित्रवीर्य और चित्रांगद।

बहुत ही कम लोग जानते हैं सत्यवती के एक तीसरे पुत्र भी थे। उस तीसरे पुत्र का नाम व्यस्त था। जब सत्यवती का विवाह नहीं हुआ था। तब सत्यवती से एक बार महर्षि पराशर मिले। और सत्यवती की खूबसूरती पर वह मोहित हो गए। तब सत्यवती और ऋषि पराशर के बीच संबंध स्थापित हुआ। जिससे व्यास जी का जन्म हुआ। व्यास जी बचपन में ही जंगल में तपस्या करने के लिए चले गए। बाद में वही महर्षि वेदव्यास जी के नाम से विख्यात हुए।

शांतनु और सत्यवती के दो पुत्र विचित्रवीर्य और चित्रांगद का विवाह अंबालिका, अंबिका नाम की राजकुमारियों से हुआ। लेकिन विवाह के कुछ समय बाद ही विचित्रवीर्य और चित्रांगद की युद्ध में मृत्यु हो गई। भीष्म ने आजीवन विवाह नहीं करने की प्रतिज्ञा ली थी। अतः उस समय हस्तिनापुर की महारानी सत्यवती अपने वंश को मिटने नहीं देना चाहती थी। इसलिए सत्यवती ने अपने तीसरे पुत्र व्यास को बुलवाया। और उनसे अंबिका और अंबालिका से संतान उत्पन्न करने का आग्रह किया। व्यास जी अपनी माता सत्यवती की आज्ञा मान गए। सत्यवती की आज्ञा को मानते हुए अंबालिका और अंबिका दोनों राजकुमारियां ने महर्षि व्यास से गर्भ धारण किया। इसके उपरांत पांडु और धृतराष्ट्र का जन्म हुआ।
लेकिन जब महर्षि वेदव्यास जी अपनी माता सत्यवती को आकर यह बताया की एक राजकुमारी का पुत्र रोगी और दूसरे राजकुमारी का पुत्र अंधा होगा। तो सत्यवती एक बार फिर राजकुमारियों को अपने तीसरे पुत्र व्यास जी के पास भेजने की इच्छा प्रकट की। लेकिन इस बार अंबालिका, अंबिका काफी डर गई थी। इसलिए इस बार उन दोनों ने खुद न जाकर… अपनी दासी को व्यास जी के पास भेज दिया। और उनकी दासी ने ब्यास जी से गर्भ धारण किया। जिससे स्वस्थ और ज्ञानी पुत्र विदुर का जन्म हुआ।
अब बात करते हैं कुंती की। दोस्ती के बारे में तो हर कोई जानता है कि राजकुमारी कुंती का विवाह महाराज पांडु से हुआ था। लेकिन जब कुंती कुंवारी ही थी, तब उनके यहां एक बार दुर्वासा ऋषि आए थे। कुंती ने दुर्वासा ऋषि की बहुत सेवा की। तब कुंती की सेवा से प्रसन्न होकर दुर्वासा ऋषि ने कुंती को एक गुप्त मंत्र बताया। दुर्वासा ऋषि में कुंती को मंत्र का ज्ञान देकर कहा कि तुम इस मंत्र की सहायता से जब चाहो तब किसी भी देवता को अपने पास बुला सकती हो। दुर्वासा ऋषि के चले जाने के बाद एक दिन राजकुमारी कुंती ने उस मंत्र की ताकत को परखने के लिए…सूर्यदेव का स्मरण किया। तब महारथी कर्ण का जन्म हुआ। लेकिन उस समय कुंती कुमारी थी। इसलिए लोक लज्जा के डर से कुंती ने अपने पुत्र कर्ण को एक बक्से में रखकर नदी में बहा दिया। 

जब आगे चलकर कुंती की शादी महाराज पांडु से हुआ। तब कुंती को पता चला की एक ऋषि के श्राप के कारण उनके पति महाराज पांडु की कोई संतान नहीं हो सकती। लेकिन जब राजा पांडु को दुर्वासा ऋषि द्वारा कुंती को दिए गए उस गुप्त मंत्र के बारे में पता चला। तब पांडु ने कुंती से कहा कि वह पवन देव और इंद्र देव से गर्भ धारण करें। तब अपने पति पांडु की आज्ञा से कुंती ने पवनदेव और इंद्रदेव से गर्भ धारण किया। जिनसे उनके तीन पुत्रों का जन्म हुआ। जो युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन कहलाए। राजा पांडु की एक और पत्नी थी जिनका नाम माधुरी था। माधुरी से पांडु ने अश्विनीकुमारों को आवाहन करने को कहा। तब पांडु की दूसरी पत्नी माधुरी ने अश्विनीकुमारों से गर्भ धारण किया। जिनसे नकुल और सहदेव का जन्म हुआ।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com