जैसे भारत में अंधकार को दूर करने के लिए दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है वैसे ही अंधकार को दूर करने के लिए कोई न कोई त्यौहार मनाया जाता है. कई देशों में दिवाली जैसे त्यौहार बनते हैं लेकिन उनके नाम अलग होते हैं.
उन्हें भी फेस्टिवल ऑफ़ लाइट ही कहा जाता है पर उनकी कहानी भी कुछ अलग ही होती है. ऐसे ही ब्रिटेन में भी ये त्यौहार मनाया गया. जिसके बारे में बताने जा रहे हैं.
दरअसल, ब्रिटेन में भी सोमवार को जमकर आतिशबाजी देखी गई। लोग हाथों में मशालें लेकर लंबे-लंबे जुलूसों में सड़कों पर उतरे। रंग-बिरंगी पोशाकें पहनीं और कई तरह के पुतले जलाए गए।
बोनफायर नाइट्स को मनाने की असल वजह
‘बोनफायर नाइट्स’ को मनाने की वजह हमारे देश में मनाई जाने वाली दिवाली से थोड़ी अलग है। लेकिन परिवार के साथ समय बिताना, खाना-पीना और जश्न मनाना ठीक दिवाली जैसा ही होता है। आपको बता दें ऐसा क्यों.
5 नवंबर 1605 को संसद को बारूद से उड़ाकर किंग जेम्स को मारने की साजिश रची गई थी। मगर इसे समय रहते असफल कर दिया गया और संसद के नीचे बारूद का जखीरा बरामद किया गया। इसके अलावा माना जाता है कि प्रमुख साजिशकर्ता गाय फॉक्स ने धार्मिक मतभेद की वजह से यह साजिश रची थी।
इस दिन लोग उन नेताओं के पुतले भी जलाते हैं, जिन्हें वे पसंद नहीं करते। पिछले साल ट्रंप का पुतला जलाया गया था। इस साल ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे और बोरिस जॉनस का पुतला बना।
1,00,000 से ज्यादा लोगों ने इस सालाना फेस्टिवल में हिस्सा लिया. 5 नवंबर को हर साल पूरे ब्रिटेन में ‘बोनफायर नाइट्स’ फेस्टिवल मनाया जाता है. 1605 में किंग जेम्स को मारने की साजिश असफल हो गई थी. इसी कारण ये त्यौहार मनाया जाता है.
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