बलिदानी प्रदीप ने 12वीं कक्षा के बाद 2015 में आर्मी ज्वाइन की थी। वे पैराकमांडो में स्काई डाइवर थे जो लगभग 100 बार स्काई डाइविंग कर चुके थे। कुलगाम में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में उन्होंने अपना बलिदान दिया था।
दक्षिण जम्मू कश्मीर के कुलगाम जिले के मुदरघम इलाके में आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में जींद के जाजनवाला गांव निवासी 28 वर्षीय प्रदीप नैन बलिदान हो गए थे। सोमवार सुबह उनका पार्थिव शरीर पैतृक गांव लाया गया, जहां राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
पार्थिव शरीर जैसे ही गांव में पहुंचा तो पूरा गांव सिसक उठा। प्रदीप नैन बलवान सिंह के इकलौते बेटे थे। कुलगाम में आतंकियों से मुठभेड़ में बलिदान हुए प्रदीप नौ वर्ष पहले सेना में भर्ती हुए थे। उनकी काबिलियत को देखते हुए उन्हें पैरा कमांडो बनाया गया था।
बलिदानी प्रदीप नैन परिवार में अपने पीछे पिता बलवान सिंह, माता रामस्नेही और पत्नी मनीषा को छोड़ गए हैं। उनकी पत्नी गर्भवती हैं।
प्रदीप की घर में सभी से 15 दिन पहले फोन पर बात हुई थी। वह खुशी-खुशी बात कर रहा था। उसने प्रमोशन के साथ जुलाई में ही घर आने को कहा था, लेकिन यह सब सपना ही रह गया। अब तिरंगे में लिपटा हुआ आया। इतना कहते हुए प्रदीप के पिता बलवान सिंह का गला रुंध गया।
अपने आपको संभालते हुए उन्होंने कहा कि उनका सभी कुछ खत्म हो गया। उनका इकलौता बेटा हमेशा के लिए दूर चला गया। वह दो महीने पहले छुट्टी काटकर घर से जल्दी ही वापस आने के लिए ड्यूटी पर गया था।