विषाक्त पदार्थ शरीर से बाहर निकलता है। पीठ में खिंचाव पैदा होता है। यह शरीर को शांत और भीतरी अंगों को निर्मल करता है। मधुमेह सहित पेट की दूसरी समस्याएं भी इससे दूर होती हैं। जिनके कूल्हों या घुटनों में चोट है, वे इसे न करें। सबसे पहले लेट जाएं। ये फायदे होते हैं सुप्त मत्स्येन्द्रासन से
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अपने दोनों हाथों को कंधे की सीध में दोनों तरफ फैलाएं। अब दाएं पैर को घुटने के पास से मोड़कर ऊपर की ओर उठाएं और बाएं घुटने पर टिका दें। अब सांस छोड़ते हुए, दाएं कूल्हे को उठाएं और पीठ को बाईं तरफ मोड़ें। दाएं घुटने को नीचे की तरफ जाने दें।
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दोनों हाथ जमीन पर ही रखें। प्रयास करें कि दायां घुटना पूरी तरह से शरीर के बाईं तरफ टिक जाए। अब सिर को दाईं तरफ घुमाएं। इस मुद्रा में आप 30 से 60 सेकंड तक रुककर सामान्य स्थिति में आ जाएं। चार से पांच बार दोहराएं।