घी में डूबी करारी बाटी और लहसुन की खुशबू से महकती गरमा-गरम दाल का मिश्रण जब मुंह में घुलता है तो तीखेपन और घी का एक विशिष्ट स्वाद आता है। रेगिस्तान के कठोर पानी की वजह से राजस्थान के व्यंजनों में भारी मात्रा में तेल एवं घी का उपयोग होता है जो जैसलमेर में बने भोजन को और भी स्वादिष्ट बना देता है। ‘कैर सांगरी’ नामक व्यंजन मानो जैसे यहां के ‘ड्राई फ्रूट्स’ हों।
यह एक तरह से यहां के स्थानीय लोगों का मनभावन पकवान है। कैर नामक छोटी-छोटी बेर सर्दियों में रेगिस्तान में उगती है जिसको सांगरी नामक ताजी फलियों के साथ मिलाकर ढेर सारे मसालों और तेल में बनाया जाता है। इसके अलावा, गट्टे की सब्जी भी जैसलमेर के लोगों की खास पसंद है जिसे आप टेस्ट कर सकते हैं। यदि आप इस सारे व्यंजनों को ‘स्पेशल राजस्थानी थाली’ में पारंपरिक तरीके से परोसे हुए खाना चाहते हैं तो आप नाचना हवेली में बने रेस्टोरेंट में राजस्थानी शैली में भोजन का आनंद उठा सकते हैं। आप इस शहर के मशहूर व्यंजनों के अलावा जैसलमेर के शाही परिवार का पसंदीदा व्यंजन भी चख सकते हैं। महारानी राशेश्र्वरीजी बताती हैं, ‘ जब भी पूरा परिवार जैसलमेर में होता है तो लहसुन की चटनी के साथ ‘बाजरे का सोगरा’ खाना जरूर खाते हैं। बाजरे का सोगरा असल में बाजरे की रोटी होती है जिस पर भारी मात्रा में ताजा मक्खन लगाया जाता है और च्यादातर गट्टे की सब्जी के साथ खाया जाता है। यदि आपको मौका मिले तो टूटे हुए गेहूं से बनने वाला ‘लापसी’ नामक स्वीट डिश जरूर चखें। सब्जियों के अभाव के कारण लाल मांस भी इस क्षेत्र में काफी मशहूर है। शाही परिवार तथा जैसलमेर कि लोगो के बीच ‘मटन के सुले’ यानी मटन के टिक्के काफी पसंद किए जाते हैं। पर जैन धर्म की लोकप्रियता के कारण आपको घरों में वेजिटेरियन खाने का वर्चस्व च्यादा देखने मिलेगा।
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