पंजाब पुलिस महानिदेशक गौरव यादव ने बताया कि आतंकवादी मॉड्यूल का भंडाफोड़ होने से टीम को बड़ी सफलता मिली है। इस कार्रवाई में पुलिस ने बाबर खालसा इंटरनेशनल संगठन के चार गुर्गों को गिरफ्तार किया है। वहीं, पुलिस ने इन आरोपियों से हथियार भी बरामद किए हैं।
पंजाब पुलिस ने टारगेट किलिंग की कोशिश को नाकाम करते हुए आतंकी मॉड्यूल का खुलासा किया। बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) के तीन गुर्गों को सीआईए स्टाफ ने पकड़ा है। सभी आतंकी जिला गुरदासपुर के रहने वाले हैं। पुलिस ने उनसे छह पिस्टल और 275 कारतूस बरामद किए हैं। इनकी पहचान शकील अहमद उर्फ लाडी गुज्जर (24) वासी गांव संधवां जिला गुरदासपुर, लवप्रीत सिंह उर्फ लंबू (21) वासी गांव पिंदा दादू जोध जिला गुरदासपुर और सरूप सिंह उर्फ घुल्ला (26) वासी कोठा जिला गुरदासपुर के रूप में हुई है।
आईजी रोपड़ रेंज गुरप्रीत भुल्लर ने पत्रकार वार्ता को संबोधित करते बताया कि आरोपियों से तुर्किये के बने 9 एमएम के तीन पिस्टल व 30 कारतूस, .30 बोर के तीन पिस्टल व 195 कारतूस और .32 बोर के 50 कारतूस मिले हैं। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान से आतंकवादी गतिविधियों को चला रहा आतंकवादी हरविंदर सिंह उर्फ रिंदा के कहने पर उन्होंने पंजाब के एक बड़े शहर के व्यक्ति को निशाना बनाने की तैयारी की थी।
इसके लिए उन्होंने उस व्यक्ति के शहर में जाकर कुछ दिन पहले रेकी भी की थी और वहां कुछ दिन रुके भी थी। इसके बाद वे विदेश में बैठे अपने आका के आदेश का इंतजार कर रहे थे लेकिन उससे पहले पकड़े गए। पुलिस ने सबसे पहले 21 अक्तूबर को मुखबिर की सूचना पर खरड़ से शकील अहमद को पकड़ा। इसके बाद ऑपरेशन चलाकर दो अन्य आरोपियों के नाम सामने आने के बाद उन्हें उनके गांवों में जाकर ही पकड़ा।
बीकेआई ने पाकिस्तान की संस्था आईएसआई के साथ मिलकर ड्रोन से पहुंचाए थे हथियार
पाकिस्तान में बैठे आतंकवादी रिंदा ने आईएसआई के साथ मिलकर ड्रोन से बार्डर एरिया के जरिए हथियार पहुंचाए थे। इन आतंकवादियों को पकड़ने के अलावा पुलिस ने दो और व्यक्तियों की पहचान की है जिन्होंने इन्हें हथियार मुहैया करवाए थे। पकड़े गए तीनों आतंकवादी रिंदा के अलावा हैंडलर हरप्रीत सिंह उर्फ हैप्पी पच्छिया हाल वासी यूएसए, करनबीर सिंह उर्फ राजा वासी गांव गुजरपुरा भंगाली जिला अमृतसर और निशान सिंह हाल वासी यूएसए के भी संपर्क में थे।
गुरदासपुर के रहने वाले हैं सभी आतंकवादी, जेल में मिलने के बाद रिंदा के लिए करने लगे काम
सूत्रों से पता चला है कि तीनों आरोपी जेल में मिले थे। एक ही जिले के होने के चलते उनमें दोस्ती हो गई और उसके बाद रिंदा के संपर्क में आकर उसके लिए काम करने लगे थे। उन्हें विदेश से फंडिंग भी आ रही थी। इनमें से किसी भी आरोपी पर रंगदारी मांगने, फायरिंग करने और टारगेट किलिंग का केस अभी सामने नहीं आया है। हालांकि इनके खिलाफ प्रॉपर्टी केस, असलहा एक्ट और एनडीपीएस एक्ट के केस दर्ज हैं।