दिल्ली मेट्रो के मेजेंटा लाइन के उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी नोएडा पहुंचे। कई साल बाद यहां के लोग मुख्यमंत्री का दीदार अपने शहर में कर रहे थे। यह अंधविश्वास है कि नोएडा में जो भी मुख्यमंत्री आते हैं वो सत्ता गंवा देते हैं।प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में योगी आदित्यनाथ की तारीफ की और कहा कि उन्होंने यह भ्रम तोड़ा है कि सूबे का कोई मुख्यमंत्री नोएडा नहीं आ सकता है। पीएम की तारीफ के बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी अशोकनगर जिला मुख्यालय जाने की घोषणा की है।
नोएडा जैसा ही अंधविश्वास मध्यप्रदेश के अशोकनगर जिले से भी जुड़ा है। जिसके मुताबिक जो भी मुख्यमंत्री यहां के जिला मुख्यालय आते हैं उन्हें सत्ता गंवानी पड़ती है।
इससे पहले 1975 में प्रकाशचंद सेठी, 1977 में श्यामचरण शुक्ल, 1984 में अर्जुन सिंह, 1993 में सुंदरलाल पटवा और 2003 में दिग्विजय सिंह वहां गए थे, जिसके बाद वे दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बन पाए।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बुधवार को एक कार्यक्रम में पिपरई पहुंचे थे, जहां उन्होंने कहा कि वो अंधविश्वासी नहीं है और वो जल्द ही अशोकनगर पहुंचकर इस मिथक को तोड़ेंगे।
सिर्फ नोएडा और अशोकनगर ही नहीं, देश में कई ऐसी जगहें हैं जहां बड़े नेता अंधविश्वासों की वजह से नहीं जाना नहीं चाहते हैं।
उज्जैन से जुड़े मिथक
उज्जैन इनमें से एक है। उज्जैन को लेकर यह पुराना अंधविश्वास है कि राज परिवार का कोई सदस्य या मुख्यमंत्री यहां रात नहीं गुजारता।
सिंधिया परिवार के सदस्य इसी मान्यता की वजह से यहां रात को नहीं रुकते। मुख्यमंत्री और बड़े मंत्री भी ऐसा ही करते हैं।
उज्जैन सिंहस्थ के दौरान भी यह देखने को मिला। मुख्यमंत्री दिन भर यहां तो रहते थे लेकिन शाम होते ही भोपाल लौट जाते थे।
इसके पीछे यह धारणा है कि उज्जैन के राजा महाकाल हैं और एक जगह पर दो राजा नहीं रह सकते।
कई जगहें नहीं जाने का अंधविश्वास प्रचलित है
तंजौर का बृहदेश्वर मंदिर, तमिलनाडु
तामिलनाडु के तंजौर स्थित बृहदेश्वर मंदिर से भी ऐसा ही अंधविश्वास जुड़ा है। कहा जाता है कि इस मंदिर में जो भी राजनेता जाता है, निकट भविष्य में उसकी मौत हो जाती है।
1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और मुख्यमंत्री एम जी रामचंद्रन वहां गए थे, जिसके बाद उनकी मौत हो गई। इस घटना को लोग अंधविश्वास से जोड़कर देखने लगे।
मध्यप्रदेश के कामदगिरी पर्वत के ऊपर से भी नेताओं के हेलिकॉप्टर नहीं गुजरते।
इसके पीछे मिथक है कि भगवान श्रीराम ने वनवास के दौरान यहां समय गुजारा था, लिहाजा जो भी इसके ऊपर से गुजरता है उसकी बर्बादी तय होती है।
इछावर मुख्यालय, मध्य प्रदेश
कुछ दिन पहले मध्यप्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के कांग्रेस विधायक शैलेंद्र पटेल ने मुख्यमंत्री के इछावर मुख्यालय नहीं जाने का सवाल उठाया।
इस सवाल का जवाब देते हुए सरकार ने कहा कि पिछले 12 वर्षों में यहां मुख्यमंत्री के आने का कई बार कार्यक्रम बना पर वो नहीं आए।
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. कैलाश नाथ काटजू 1962 में, पंडिता द्वारका प्रसाद मिश्र 1967 में, कैलाश जोशी 1977 में, वीरेंद्र कुमार सकलेचा 1979 में इछावर पहुंचे थे, जिसके बाद उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी गवांनी पड़ी।
लोग इसे मिथक से जोड़कर देखते हैं। मेजेंटा लाइन के उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ऐसे ही एक मिथक का जिक्र किया।
उन्होंने कहा, “जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था तो मुझे भी कई जगहों पर जाने से मना किया गया। मैं सारी बातों को नकारते हुए बतौर मुख्यमंत्री वहां गया, जहां कोई नहीं जाता था।