मलेशिया की पनाह लेने वाले जाकिर नाईक को भारत लाने का रास्ता साफ हो गया है. मलेशिया की सरकार अब खुद पेशकश की है कि यदि भारत सरकार उनसे जाकिर के प्रत्यर्पण की मांग करेगी तो वह उसे सौंप देंगे. मलेशिया सरकार के इस रुख से साफ है कि वहां की सरकार भी अब जाकिर पर सख्त हो चुकी है.
पासपोर्ट नहीं करेंगे रद्द
मलेशिया के उप प्रधानमंत्री अहमद जाहिद हमीदी ने कहा कि अगर भारत सरकार जाकिर के प्रत्यर्पण के लिए आवेदन करेगी तो वे उसे सौंप देंगे. उन्होंने बताया कि अभी तक इस संबंध में मलेशिया सरकार के पास कोई आवेदन नहीं आया है. हमीदी ने कहा कि फिलहाल जाकिर का पासपोर्ट रद्द नहीं किया जा सकता, क्योंकि जाकिर ने अभी तक मलेशिया सरकार के किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं किया है.
धार्मिक कट्टरता फैलाने का आरोप
हाल ही में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा था कि वे जाकिर नाईक के प्रत्यर्पण के लिए मलेशिया सरकार से आवेदन करेंगे. विवादित धर्मगुरु जाकिर नाईक पर युवाओं में धार्मिक कट्टरता फैलाने का आरोप है. इस मामले की एऩआईए जांच कर रही है. मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, नाइक को पांच वर्ष पहले ही वहां स्थायी निवास प्रदान कर दिया गया था.
देशद्रोह का भी है आरोप
देशद्रोह के साथ जाकिर नाइक पर आतंकी बनने के लिए उकसाने के भी आरोप हैं. एनआईए ने 18 नवंबर 2016 को अपनी मुंबई शाखा में नाइक के खिलाफ यूएपीए कानून और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था.
1 जुलाई 2016 को हुआ था भारत से फरार
जाकिर नाईक जुलाई 2016 में बांग्लादेश के ढ़ाका में हुए आतंकी हमले के बाद एनआईए के राडार पर आया था. हमले के बाद आतंकियों ने कहा था कि जाकिर नाईक के भाषण से प्रेरित होकर उन्होंने यह हमला किया है. जिसके बाद नाईक 1 जुलाई 2016 को भारत से फरार हो गया था.
इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन गैरकानूनी
जाकिर नाईक के संगठन इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन को पहले ही गृह मंत्रालय गैरकानूनी घोषित कर चुका है. साथ ही उनका पासपोर्ट भी रद्द किया जा चुका है. इसके अलावा जाकिर नाइक के खिलाफ गैर-जमानती वारंट भी जारी किया गया है. आर्थिक अपराधों की जांच करने वाली एजेंसी ED भी जाकिर नाईक की संस्था पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच कर रही है. मुंबई में नाईक की संस्था के दफ्तरों को बंद करवा दिया गया है.
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