प्रस्तावित कॉरिडोर इसलिए अधिक महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि यह एनसीआर के पांच प्रमुख मार्गों दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे, दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे, नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे, डीएनडी-फरीदाबाद हाईवे और यमुना एक्सप्रेसवे को जोड़ेगा।
अर्बन एक्सटेंशन रोड (यूईआर)-दो शुरू हो जाने के बाद अब भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की ओर से इसके ईस्टर्न एक्सटेंशन पर काम शुरू कर दिया है। इसके लिए एनएचएआई ने विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने के लिए निविदा आमंत्रित किया है। नौ महीने में निजी एजेंसी को डीपीआर तैयार करनी है। इस योजना पर 7500 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
प्रस्तावित कॉरिडोर इसलिए अधिक महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि यह एनसीआर के पांच प्रमुख मार्गों दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे, दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे, नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे, डीएनडी-फरीदाबाद हाईवे और यमुना एक्सप्रेसवे को जोड़ेगा। इस प्रस्तावित परियोजना का उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वाहनों की आवाजाही को आसान बनाना है। अगले साल मध्य तक इस परियोजना की डीपीआर तैयार होने की उम्मीद है।
इसमें पैदल क्रासिंग की पहचान करना, वाहनों की गति, वाहनों की आवाजाही की समस्याओं, भीड़भाड़ वाले बिंदु और पुलों या अंडरपास के निर्माण द्वारा इन समस्याओं समाधान करने के सुझाव देना होगा। सलाहकार यातायात अध्ययनों से प्राप्त आंकड़ों और सूचनाओं तथा भूमि की उपलब्धता सहित मौजूदा विशेषताओं के अध्ययन के आधार पर संभावित टोल प्लाजा स्थान की पहचान भी करेंगे। अधिकारियों ने बताया कि यह काॅरिडोर गाजियाबाद लोनी, बागपत, नोएडा और फरीदाबाद जैसे एनसीआर के शहरों को उत्तरी व दक्षिण-पश्चिमी दिल्ली से जोड़ेगा। इसके निर्माण से शहर की सड़कों और सराय काले खां व कालिंदी कुंज जैसे प्रमुख स्थानों पर वाहनों की आवाजाही में समस्याएं कम करने में मदद मिलेगी।
दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में कम होगा यातायात का दबाव
इस परियोजना का उद्देश्य दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में यातायात दबाव को कम करना, रिंग रोड और एनएच नेटवर्क को मजबूत करना तथा गाजियाबाद-नोएडा-फरीदाबाद के बीच तेज और सुरक्षित कनेक्टिविटी सुनिश्चित करना है। एनएचएआई ने साफ किया कि डीपीआर में तकनीकी, आर्थिक और वित्तीय पहलुओं का गहन अध्ययन किया जाएगा, जिसमें सड़क डिजाइन, पेवमेंट डिजाइन, पुल व फ्लाईओवर, सेवा मार्ग, सुरक्षा मानक, पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन शामिल होंगे।
इच्छुक तकनीकी परामर्शदाताओं को अपनी बोली 15 अक्तूबर तक ई-टेंडर पोर्टल पर जमा करनी होगी। डीपीआर में सड़क चौड़ीकरण, इंटरचेंज निर्माण, बाईपास की संभावनाएं, ट्रैफिक पूर्वानुमान, भूमि अधिग्रहण लागत और सामाजिक प्रभाव विश्लेषण किया जाएगा। साथ ही पर्यावरणीय और वन अनुमति, यूटिलिटी शिफ्टिंग, जल निकासी योजना और सड़क फर्नीचर की डिजाइन भी शामिल होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रोजेक्ट गाजियाबाद, बागपत, हापुड़, गौतमबुद्ध नगर और फरीदाबाद जैसे औद्योगिक जिलों की लॉजिस्टिक्स और परिवहन व्यवस्था को नई गति देगा।