कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को गणतंत्र दिवस परेड समारोह में छठी पंक्ति में बैठाने को लेकर छिड़े विवाद के बाद अब राष्ट्रपति भवन में आयोजित होने वाली पारंपरिक एट होम सेरेमनी के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे को आमंत्रण नहीं भेजा गया है. खड़गे लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस के नेता हैं. खड़गे के एक सहयोगी ने इसकी जानकारी दी.
राष्ट्रपति भवन में गणतंत्र दिवस की परेड के बाद शाम को एट होम सेरेमनी का आयोजन किया जाता है. इसमें उप-राष्ट्रपति, लोकसभा अध्यक्ष, पूर्व राष्ट्रपति, पूर्व प्रधानमंत्री, सरकार के मंत्री, अहम संवैधानिक पदों पर आसीन गणमान्य लोग और विशिष्ट व्यक्तियों को आमंत्रित किया जाता है.
मल्लिकार्जुन खड़गे के एक सहयोगी ने बताया कि 69वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति भवन में होने वाली एट होम सेरेमनी में खड़गे को आमंत्रित करने के लिए अभी तक कोई सूचना नहीं मिली है. सूत्रों ने यह भी बताया कि साल 2014 से ही उन्हें इसके लिए आमंत्रित नहीं किया जा रहा है.
मालूम हो कि लोकसभा में कांग्रेस सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है, लेकिन उसके पास निश्चित संख्या बल नहीं होने के कारण उसके नेता को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं दिया गया है. गणतंत्र दिवस परेड के समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को छठी पंक्ति में बिठाया गया, जिस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस ने आरोप लगाया कि इससे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार की ओछी राजनीति जगजाहिर हो गई है.
शुक्रवार को राजपथ पर गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान राहुल गांधी छठी पंक्ति में बैठे थे. इस दौरान वह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद से बातचीत करते नजर आए. कांग्रेस अध्यक्ष को गणतंत्र दिवस पर अग्रिम पंक्ति में नहीं बैठाए जाने पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि गणतंत्र दिवस के राष्ट्रीय पर्व पर अहंकारी शासकों ने सारी परम्पराओं को दरकिनार कर दिया. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि इससे मोदी सरकार की ओछी राजनीति जग ज़ाहिर हो गई है.
इसके अलावा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राजपथ पर पहली कतार में जगह नहीं देने की खबर सामने आने के बाद देशवासियों के नाम एक खत लिखा था, जिसमें उन्होंने जनता से संविधान की रक्षा करने की अपील की थी. राहुल गांधी ने कहा था कि हमारे युवा देश के इतिहास में इन मूल्यवान प्रतिबद्धताओं की पहले से कहीं अधिक रक्षा किए जाने की आवश्यकता है. इस गणतंत्र दिवस पर हमें आजीवन चलने वाली शपथ को दोहराना चाहिए और अपने संविधान की रक्षा करनी चाहिए. उन्होंने देशवासियों से कहा कि जब कभी भी भारत का संविधान खतरे में पड़े, तो इसकी एकजुटता के साथ रक्षा की जानी चाहिए.