मुगल काल की वैसे अधिकांश महिलाएं ऐसी हैं, जिनके बारे में लोग जानते भी नहीं है, किन्तु उन्हीं में से कुछ ऐसी भी हैं, जिन्हें हिस्ट्री आज भी याद रखे हुए हैं. इसमें मुमताज महल, नूरजहां तथा जहां आरा का नाम सबसे पूर्व में आता है. क्या आप जानते हैं कि विश्व की सबसे ‘अमीर’ शहजादी एक मुगल बादशाह की पुत्री थी? जी हां, इतिहासकार तो कुछ ऐसा ही बताते हैं. इस अमीर शहजादी का नाम था जहां आरा, जो मुगल बादशाह शाहजहां तथा मुमताज महल की बड़ी पुत्री थीं.
यह भी कहा जाता है कि बादशाह शाहजहां ने जहां आरा के लिए 6 लाख रुपये वार्षिक का वजीफा निर्धारित किया था. वजीफा का तात्पर्य होता है भरण पोषण आदि के लिए मिलनेवाली आर्थिक मदद. उस वक़्त जहां आरा की उम्र केवल 14 वर्ष थी. इस वजीफा के मिलने के पश्चात् वह मुगल दौर ही नहीं बल्कि विश्व की भी सबसे अमीर शहजादी बन गई थीं.
वही जहां आरा का जन्म 1614 ईस्वी में हुआ था. 1631 में मुमताज महल की मौत के पश्चात् शाहजहां ने जहां आरा को पादशाह बेगम बना दिया था, तथा महल के मामलों की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सुपुर्द कर दी थी. जबकि उस वक़्त बादशाह की और भी पत्नियां वहीं उपस्थित थीं. उस वक़्त जहां आरा की उम्र केवल 17 वर्ष थी. वही इतिहासकारों के अनुसार, मुमताज महल की मौत के पश्चात् उनकी सारी संपत्ति का आधा भाग जहां आरा को दिया गया था, जबकि शेष के आधे भाग को दूसरे बच्चों में वितरित कर दिया गया था. इसी के साथ इतिहास में कई ऐसी चीजे है जो हमें नहीं पता है.