बहुचर्चित चारा घोटाले के एक मामले में राष्ट्रीय जनता प्रमुख (आरजेडी) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव की सजा का ऐलान सीबीआई की विशेष अदालत गुरुवार को करेगी। दरअसल, अदालत लालू की सजा आज ही सुनाने वाली थी लेकिन वकील विंदेश्वरी प्रसाद के निधन के कारण सजा पर सुनवाई गुरुवार तक के लिए टाल दी गई है। ऐसे में लालू प्रसाद यादव समेत सभी अभियुक्तों को वापस न्यायिक हिरासत में बिरसा मुंडा जेल भेज दिया गया।
इससे पहले लालू को कड़ी सुरक्षा के बीच बिरसा मुंडा कारागार से रांची स्थित सीबीआई की विशेष अदालत में लाया गया। इस दौरान अदालत की सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी। लालू के साथ आरजेडी के कई कार्यकर्ता भी मौजूद दिखे।
पिछले साल 24 दिसंबर को सीबीआई जज ने 1990-1994 के बीच देवघर के सरकारी कोषागार से 89.27 लाख रुपये की अवैध निकासी के मामले में लालू प्रसाद यादव को दोषी करार दिया था। इस मामले में अदालत ने 22 आरोपियों में से 6 को बरी कर दिया था, जिनमें राज्य के एक और पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र शामिल थे। लालू समेत दोषी ठहराए गए सभी 16 लोगों को बिरसा मुंडा जेल भेज दिया गया था।
इस बीच सीबीआई की विशेष अदालत ने आरजेडी नेता रघुवंश प्रसाद सिंह, तेजस्वी यादव और मनोज झा को कोर्ट की अवमानना के मामले में समन भेजा है। अदालत ने उन्हें 23 जनवरी को अदालत के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया। अदालत ने नोटिस में पूछा है कि अदालती फैसले के बारे में दिए गए बयानों को देखते हुए क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाए? अदालत के इस फैसले के बाद आरजेडी और कांग्रेस खेमे में सन्नाटा दिखाई दिया और कोर्ट कैंपस में इन पार्टियों के नेता कोई भी बयान देने से बचते दिखे।
हालांकि, आरजेडी के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि उन्हें अदालत पर पूरा भरोसा है। लेकिन इस मामले में जिस प्रकार लालू प्रसाद यादव को फंसाया गया है उसे देखते हुए इसे वह और उनकी पार्टी जनता की अदालत में ले जाएंगे और बीजेपी को 2018 के आगे कहीं भी अपना पैर नहीं जमाने देंगे। वहीं, अदालत के इस कदम पर मनोज झा ने कहा कि यह हमलोगों के लिए चौंकानेवाला फैसला है। हमलोगों ने अदालत की कार्यवाही या फैसले के खिलाफ एक भी शब्द नहीं कहा।
हालांकि, फैसले के बाद लालू ने कहा था कि उन्हें समेत दूसरे राजनीतिक लोगों को बीजेपी ने साजिश के तहत फंसाया है। लालू के परिवार ने अदालत के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील करने की बात कही थी।
गौरतलब है कि साल 2013 में भी अदालत ने उन्हें चाईबासा कोषागार से 37.5 करोड़ रुपये की अवैध निकासी का दोषी पाया था। तब लालू को पांच साल जेल की सजा हुई थी और 25 लाख रुपये जुर्माना लगा था।