वाणिज्यिक श्रेणी के उपभोक्ताओं की बिजली दरों में भी विद्युत नियामक आयोग ने बढ़ोतरी की है। फिक्स चार्ज में जहां 40 रुपये तक की बढ़ोत्तरी की गई है वहीं मिनिमम (न्यूनतम) चार्ज में 50 रुपये तक का इजाफा किया गया है।

इतना ही नहीं व्यापारियों को वाणिज्यिक प्रतिष्ठान में इस्तेमाल होने वाली बिजली के लिए 8.75 रुपये प्रति यूनिट तक अब खर्च करना होगा।

ग्रामीण इलाकों में मीटर्ड वाणिज्यिक कनेक्शनों का फिक्स्ड चार्ज 95 से बढ़ाकर 110 रुपये और एनर्जी चार्ज पांच से बढ़ाकर साढ़े पांच रुपये प्रति यूनिट कर दिया गया है। आर्डर के मुताबिक दो किलोवाट तक 300 की जगह अब 330 रुपये, दो से चार किलोवाट तक 350 की जगह 390 और चार किलोवाट से अधिक क्षमता पर फिक्स्ड चार्ज 430 से बढ़ाकर 450 रुपये किया गया है।

इसी तरह 300 यूनिट तक खपत पर सात रुपये की जगह साढ़े सात रुपये, 301 से एक हजार यूनिट तक आठ की जगह 8.4 रुपये और एक हजार यूनिट से अधिक खपत पर 8.3 के स्थान पर 8.75 रुपये प्रति यूनिट बिल देना होगा।

इसके अलावा अप्रैल से सितंबर तक न्यूनतम चार्ज अब 575 से बढ़ाकर 600 रुपये किया गया है, जबकि अक्टूबर से मार्च तक का न्यूनतम चार्ज 425 रुपये से 475 किया गया है। ग्रामीण अनमीटर्ड श्रेणी का फिक्स्ड चार्ज पहले की तरह एक हजार रुपये रखा गया है। निजी विज्ञापन, साइन पोस्ट, साइन बोर्ड, ग्लो साइन व फ्लेक्स के लिए पहले की तरह प्रति यूनिट दर 18 रुपये और मिनिमम चार्ज 1800 रुपये रहेगा। निजी संस्थानों व कार्यालयों में इस्तेमाल होने वाली बिजली की फिक्स दरों में 40 रुपये तक व प्रति यूनिट दर 40 पैसे की बढ़ोतरी की गई है।

अस्थायी बिजली कनेक्शन लेना भी हुआ महंगा

शादी-बरात व मेला आदि में दुकानों के लिए अस्थायी कनेक्शन की दरों में भी इजाफा किया गया है। शादी-बरात आदि के कनेक्शन के लिए अब जहां एक दिन के लिए 4250 के बजाय 4750 रुपये देना होगा वहीं मेले-प्रदर्शनी में लगने वाली अस्थायी दुकानों के कनेक्शन के लिए प्रतिदिन का खर्च 500 के स्थान पर 560 रुपये किया गया है। शादी व अन्य समारोहों के लिए यह दर 8.50 रुपये से बढ़ाकर नौ रुपये की गई है। मिनिमम चार्ज भी 400 से 450 रुपये किया गया है।

भवन निर्माण की बिजली भी महंगी

भवन सहित अन्य निर्माण कार्यों के अस्थायी कनेक्शन पर अब तक फिक्स्ड चार्ज नहीं होता था लेकिन अब घरेलू निर्माण पर 200 रुपये और अन्य निर्माण पर 300 रुपये फिक्स्ड चार्ज लगेगा। घरेलू निर्माण के लिए बिजली की यूनिट दर भी 7.5 से बढ़ाकर आठ रुपये की गई है, जबकि अन्य निर्माण के लिए प्रति यूनिट दर 8.5 से बढ़ाकर नौ रुपये की गई है। इन कनेक्शनों का मिनिमम चार्ज भी 400 से बढ़ाकर 450 रुपये किया गया है।

उद्योगों को राहत देने की कोशिश

जहां पहले महंगी बिजली की सबसे ज्यादा मार उद्योगों पर पड़ती थी वहीं अबकी उद्योगों की बिजली की दरों में अपेक्षाकृत कम ही इजाफा किया गया है। उद्योगों की बिजली पांच से 10 फीसद तक ही महंगी की गई है। उद्योगों की बिजली पहले से ही काफी महंगी होने और मंदी के असर को देखते हुए आयोग ने छोटे व मझोले उद्योगों की बिजली दरों में प्रति यूनिट 30 पैसे प्रति यूनिट तक व सभी के लिए फिक्स चार्ज में 15 से 45 रुपये का ही इजाफा किया है।

इसी तरह बड़े उद्योगों के लिए भी स्लैब को कम करते हुए फिक्स चार्ज में 50 रुपये का इजाफा किया गया है। प्रति यूनिट दर में 15 से 45 पैसे की बढ़ोतरी की गई है। उद्योगों के लिए टीओडी को यथावत बनाए रखा गया है। बल्क लोड बिजली की फिक्स दरों में 70 रुपये तक का इजाफा किया गया है जबकि प्रति यूनिट दर अधिकतम 8.48 रुपये तय की गई है।

मेट्रो की बिजली भी मंहगी

मेट्रो रेल व अन्य में इस्तेमाल होने वाली बिजली की दरों को भी बढ़ाया गया हैै। डिमांड चार्ज 200 से 300 रुपये, मिनिमम चार्ज 800 से 900 व प्रति यूनिट दर 6.50 रुपये से 7.30 रुपये किया गया है। इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जिंग की दरें यथावत रखी गई हैं।