इन राज्यों में बांटे जाएंगे नए लाइसेंस: गैस डिस्ट्रीब्यूटर्स का लाइसेंस मिलने के बाद गैस एजेंसी को चालू करने में सामान्यतौर पर एक साल का समय लग जाता है. इसमें तमाम स्थानीय प्रशासनिक मंजूरियां लेने के साथ ही साथ ऑफिस और गोदाम निर्माण भी शामिल है. नए डिस्ट्रीब्यूटर्स विशेषकर उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और महाराष्ट्र में बनाए जाएंगे, क्योंकि इन्हीं राज्यों में उपभोक्ताओं की संख्या सबसे ज्यादा बढ़ी है.
डीलरशिप के लिए ऐसे करें तैयारी: LPG डीलरशिप हासिल करने की बेहद कड़े नियम और शर्तें हैं. ऐसे में जरूरी है कि इस साल जब गैस कंपनियां डीलरशिप के लिए आवेदन आमंत्रित करें तो आपके पास तैयारी पूरी होनी चाहिए.
स्टेप-1: देश की तीनों सरकारी कंपनियां इंडेन, भारत गैस और एचपी गैस समय-समय पर नए डीलर बनाने के लिए आवेदन आमंत्रित करती हैं. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में गैस डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क को मजबूत बनाने के लिए केंद्र सरकार की राजीव गांधी ग्रामीण एलपीजी डिस्ट्रीब्यूशन योजना(आरजीजीएलवी) के तहत भी आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं. इसमें गैस कंपनियां एजेंसी और गोदाम की जमीन के लिए कंपनियां वार्ड, मुहल्ला या निश्चित स्थान विज्ञापन या नोटिफिकेशन में बताती हैं.
एप्लीकेशन भेजने के बाद एक निर्धारित तिथि पर कैंडिडेट का इंटरव्यू किया जाता है. इसमें विभिन्न आधार पर नंबर दिए जाते हैं. इन्हीं नंबरों के विभिन्न पैरामीटर्स आधार पर कैंडिडेट का इवैल्युएशन किया जाता है. इसका रिजल्ट नोटिसबोर्ड पर सभी पैरामीटर्स पर प्राप्त अंकों के आधार पर किया जाता है.
स्टेप-2: मैरिट में अंकों के प्रदर्शित होने के बाद गैस कंपनी का एक पैनल सभी कैंडिडेट की दी गई डिटेल के संबंध में फील्ड वैरिफिकेशन करता है. इसमें जमीन से लेकर सभी अन्य बातों की गहन पड़ताल की जाती है. इसके बाद ही गैस एजेंसी अलॉट की जाती है. इसके लिए कैंडिडेट को एक तय समय सीमा दी जाती है. इसके भीतर ही उसे गैस एजेंसी शुरू करनी होती है.