सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान गलती से पाक सीमा में जाने वाले भारतीय सैनिक चंदू बाबू लाल चव्हाण को पाकिस्तान ने रिहा कर दिया और साथ ही ट्वीट करके बड़ी बात कही। चंदू को शनिवार को अटारी बार्डर के रास्ते भारत भेज दिया। भारतीय समयानुसार करीब चार बजकर दस मिनट पर चंदू को पाकिस्तान ने भारत के अधिकारियों के हवाले कर दिया।
वहीं पाकिस्तान के मेजर जनरल आसिफ गफूर ने ट्वीट कर कहा, ‘पाकिस्तान सेना गुडविल के तहत भारतीय जवान को रिहा कर रही है।’ पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘भारतीय जवान को रिहा करने का पाकिस्तान सरकार का फैसला मानवीय आधार पर किया गया है और इस प्रतिबद्धता से एलओसी तथा सभी सीमाओं पर शांति एवं सौहार्द का माहौल सुनिश्चित होगा।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान शांतिप्रिय पड़ोसी बन रहने में यकीन करता है और क्षेत्रीय शांति एवं सुरक्षा को चोट पहुंचाने वाली सभी गतिविधियों को खारिज करता है।’
वहीं भारतीय सरकार और सेना की मुश्किलें भी बढ़ीं
अटारी बार्डर पर जैसे ही पाकिस्तानी रेंजर्स ने बीएसएफ को भारतीय सैनिक चंदू बाबू लाल चव्हाण को सौंपा। दस्तावेज पूरे करने के बाद चंदू बाबू को लेकर बीएसएफ मुख्यालय (अटारी बार्डर पर स्थित) में ले जाया गया। चंदू को किसी से भी बात नही करने दी गई। खुफिया विभाग व सेना के वरीय अधिकारी रिसीव करने के बाद चंदू को खुफिया ठिकाने पर ले गए।
हालांकि चंदू बाबू लाल चव्हाण की आंखों में पाकिस्तानी हुकूमत का दर्द दिख रहा था। चंदू के साथ पाकिस्तान में पूछताछ के नाम पर क्या-क्या हुआ यह कहानी अभी तक सामने नही आई है। खुफिया विभाग व अन्य सुरक्षा एजेंसियां चंदू बाबू लाल से पूछताछ के बाद अपनी-अपनी रिपोर्ट तैयार करेंगी।
दूसरी ओर, भारतीय सैनिक चंदू बाबूलाल चव्हान को लेकर पाकिस्तान ने चौंकाने वाला बयान दिया, जिसके बाद भारतीय सेना और सरकार मुश्किल में पड़ गईं। दरअसल पाकिस्तान का कहना है कि जवान अपने अधिकारियों से तंग आकर यह सोचते हुए गलती से एलओसी पार कर गया था वह घर लौट जाएगा।
खूफिया विभाग को चंदू से चाहिए कुछ सवालों के जवाब
सूत्र बताते हैं कि पहले उसे दिल्ली मुख्यालय ले जाकर पूछताछ के बाद रिपोर्ट बनेगी, उसके बाद ही तय होगा कि उसकी अगली पोस्टिंग कहां की जाएगी। गौरतलब है कि चंदू बाबू लाल मीणा बीते 30 सिंतबर को गलती से पाकिस्तान सीमा क्षेत्र में चले गए थे।
30 सितंबर से अब तक पाकिस्तान चंदू बाबू लाल से क्या-क्या पूछताछ करती रही। कहीं पाकिस्तान ने उसके दिमाग में भारत विरोधी गतिविधियों का खाका तो नही भर दिया। इन बातों का जवाब खुफिया विभाग बिना लिए सैनिक को घर जाने की इजाजत नही देगी।
सर्जिकल स्ट्राइक के दिन गलती से गया था एलओसी के पास
पिछले साल सितंबर में भारतीय सेना ने जिस दिन पाकिस्तान की सीमा में घुसकर आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था, उसके कुछ घंटे बाद ही 37 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात चंदू कश्मीर की एलओसी पार कर पाकिस्तान चले गए थे। उन्हें अटारी-वाघा सीमा से वापस किया गया।
पाकिस्तान से रिहा होने के बाद सीमा सुरक्षा बल ने पहले उन्हें सेना को सौंपा और फिर सेना उन्हें अज्ञात स्थान पर ले गई। चव्हाण के भाई भूषण चव्हाण भी सैनिक हैं और उन्होंने सेना के इन प्रयासों का शुक्रिया अदा किया।
उन्होंने कहा, ‘चंदू की रिहाई के लिए मैं डीजीएमओ और सेना के प्रयासों का आभारी हूं, इसे कभी भूल नहीं सकता। मैं भी एक सैनिक हूं और अंतिम सांस तक पूरी ईमानदारी के साथ अपना कर्त्तव्य निभाता रहूंगा। मैं ग्रामीणों और हर किसी का आभारी हूं जिन्होंने न सिर्फ मेरे भाई के लिए बल्कि इस देश के एक जवान के लिए भी दुआ की।’
चंदू के पाकिस्तान जाने के बाद दादी का निधन हो गया था
चव्हाण महाराष्ट्र के धुले जिले में बोरविहिर गांव के रहने वाले हैं। पाकिस्तानी सेना द्वारा उन्हें पकड़ लिए जाने की खबर सुनकर ही उनकी दादी का निधन हो गया था। अटारी में तैनात एक अधिकारी ने बताया कि सेना के डॉक्टरों की टीम पहले चव्हाण की मेडिकल जांच करेगी।
रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे और उनका मंत्रालय तथा डीजीएमओ चंदू चव्हाण की रिहाई के लिए लगातार प्रयास कर रहे थे। सभी औपचारिक प्रक्रियाएं पूरी कर लेने के बाद वह अपने घर जा सकते हैं। भामरे ने कहा, ‘पाकिस्तान के कब्जे से सैनिक को छुड़ाने के लिए विदेश मंत्रालय भी प्रयासरत था।
आखिरकार सभी विभागों की कोशिश और लोगों की दुआएं शनिवार को सफल हो गईं। हमारे डीजीएमओ भी पाकिस्तानी डीजीएमओ के संपर्क में थे। पिछले हफ्ते हमें बताया गया कि चंदू चव्हाण को जल्द रिहा कर दिया जाएगा।’