अमेरिका के विख्यात भारतीय विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में 23 मई को लोकसभा चुनाव नतीजों के ऐलान के बाद गठित होने वाली सरकार को विदेश नीति के संबंध में, विशेषकर आर्थिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण फैसले लेने होंगे. विदेशी संबंधों पर परिषद की सदस्य एलिसा आयर्स ने मीडिया से कहा कि, ‘‘अगली सरकार किसी भी पार्टी की बने, एक बात निश्चित है कि भारत को विदेश नीति के संबंध में, विशेषकर आर्थिक क्षेत्र में अहम फैसले लेने होंगे.’’
‘‘आवर टाइम हैज कम: हाउ इंडिया इज मेकिंग इट्स प्लेस इन द वर्ल्ड’’ किताब की लेखिका और पूर्ववर्ती ओबामा प्रशासन में अपनी सेवाएं दे चुकीं आयर्स ने कहा है कि हालांकि प्रत्येक सरकार में भारत और अमेरिका के संबंधों में रक्षा क्षेत्र में उन्नति हुई है, किन्तु व्यापार एवं आर्थिक मोर्चे पर तनाव बढ़ा है. ‘कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस’ के कर्मी एशले टेलिस ने अपने लेख ‘‘ट्रबल्स अपलेंटी: फोरेन पॉलिसी चैलेंजिस फॉर द नेक्स्ट इंडियन गवर्नमेंट’’ में लिखा है कि एग्जिट पोल ने पीएम मोदी के दोबारा चुने जाने का पूर्वानुमान जताया है. उन्हें भारत में ही नहीं, बल्कि उससे आगे भी गंभीर चुनौतियों से गुजरना होगा.
टेलिस ने कहा कि, ‘‘यदि भारत को आगामी दशकों में बड़ी शक्ति बनने की महत्वाकांक्षाओं को पूरा करना है तो अगली सरकार को घरेलू स्तर पर वित्तीय सुधार तेज करने होंगे, भारत की संस्थाओं को सशक्त करना होगा, उसके संवैधानिक चरित्र को बचाकर रखना होगा और देश के आंतरिक सामंजस्य को कायम रखना होगा. ये सभी हालिया सालों में बुरी तरह संघर्ष कर रहे हैं.’’