तिरूअनंतपुरम: सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। अब इस विवाद में केरल के कांग्रेस के अंतरिम प्रदेश अध्यक्ष एमएम हसन का विवादित बयान सामने आया है। दरअसल वे स्टेट यूथ वेलफेयर बोर्ड द्वारा पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए आयोजित किए गए कैंप में पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने वहां मौजूद लोगों से चर्चा की और कहा कि क्या यहां मौजूद लोग जानते हैं कि सबरीमाला मंदिर में महिलाआ का प्रवेश वर्जित है।
बड़ी ख़बर: भाजपा के इस बड़े नेता की हार्ट अटैक से हुई मौत, देश में चारो तरफ़ मचा हड़कंमइस मामले में उन्होंने अपने विचार रखे और मंदिर की प्रथा की बात का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर आपत्ती जाहिर की गई। इस दौरान हसन से सवाल किए गए थे कि सबरीमाला में मासिक धर्म के तहत महिलाओं का प्रवेश वर्जित क्यों है। ऐसे में हसन ने कहा था कि वे इस विषय पर व्यक्तिगत राय नहीं रखते हैं। उन्होंने कहा कि वे सबरीमाला मंदिर में जिस तरह के नियम जारी किए गए हैं उसकी बात कर रहे हैं।
दरअसल मासिक धर्म के तहत महिलाओं का प्रवेश प्रतिबंधित है। उनका कहना था कि हालांकि उन्हें इस तरह के विषय पर कुछ कहने का अधिकार नहीं है और उनकी प्रतिक्रिया को गलत तरह से लिया गया मगर उन्होंने कहा कि सबरीमाला मंदिर में जो नियम है उसकी बात वे कर रहे थे।
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वहां पर मासिक धर्म के दौरान महिलाओं का प्रवेश वर्जित है। इस मामले में महिलाओं व अन्य लोगों ने हसन से सवाल किए और कहा कि क्या वे मासिक धर्म और इससे जुड़े अंग को अपवित्र मानते हैं। अन्य तरह के विरोधों के बाद भी हसन अपने बयान पर अड़िग थे।
उनसे एक महिला ने कहा कि यदि वे मासिक धर्म को अपवित्र मानते हैं तो फिर वह रक्त जो उनकी धमनियों में दौड़ रहा है उसे लेकर क्या कहेंगे। क्या वे मासिक धर्म से जुड़े अंगों को भी अपवित्र मानते हैं। हसन ने कहा कि महिलाओं के प्रवेश को वर्जित किए जाने को लेकर वैज्ञानिक कारण है। मगर उन्होंने कहा कि इसका दूसरा अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए उनका कहना था कि मासिक धर्म के दौरान मुस्लिम महिलाऐं रोजा नहीं रखती हैं।