ऑस्ट्रेलिया में प्रकाशित होने वाले दो महत्वपूर्ण अखबारों की एक संयुक्त रिपोर्ट सामने आई है। इस अखबार में ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री अल्बानीज की सरकार को चीन से युद्ध के लिए तैयार रहने की सलाह दी है।
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ऑस्ट्रेलिया में प्रकाशित होने वाले दो महत्वपूर्ण अखबारों की एक संयुक्त रिपोर्ट सामने आई है। इसमें की सरकार को चीन से युद्ध के लिए तैयार रहने की सलाह दी है।
अखबार द सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड और द एज की इस रिपोर्ट को रेड अलर्ट का नाम दिया गया है। इसमें चेतावनी दी गई है कि आने वाले तीन सालों में ऑस्ट्रेलिया से युद्ध करने के लिए तैयार हो जाना चाहिए।
पांच सुरक्षा विश्लेषकों ने तैयार की रेड अलर्ट रिपोर्ट
नामक इस रिपोर्ट को पांच सुरक्षा विश्लेषकों एलन फिंकेल, पीटर जेनिंग्स, लवीना ली, मिक रयान और लेस्ली सीबेक ने तैयार किया है। नाइन एंटरटेनमेंट मीडिया समूह द्वारा पब्लिश की गई इस रिपोर्ट ने बताया है कि अधिकांश ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों की तुलना में ताइवान और चीन से जुड़े संघर्ष की संभावना बहुत अधिक है।
ताइवान समाचार की रिपोर्ट के अनुसार, विश्लेषकों का मानना है कि ऑस्ट्रेलिया चीन और ताइवान से जुड़े युद्ध में शामिल होने के लिए तैयार नहीं है, लेकिन इसके बावजूद ऑस्ट्रेलिया को युद्ध की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। इसके अलावा, अमेरिका के साथ देश के गठबंधन को देखते हुए, ऑस्ट्रेलिया के लिए युद्ध में शामिल होने से बचना बहुत मुश्किल हो सकता है।
ताइवान पर हमले की आशंका
पर हमले की आशंका को लेकर रिपोर्ट में कहा गया है कि इस समय केवल अटकलें लगाए जा रहे है कि ताइवन पर हमला होगा लेकिन यह एकमात्र परिदृश्य नहीं है। इसमें ऑस्ट्रेलिया की सुरक्षा और समृद्धि को खतरा पैदा हो सकता है।
ऑस्ट्रेलिया को खुद को किसी एक परिदृश्य के लिए तैयार नहीं करना चाहिए, बल्कि एक साथ कई समस्याओं से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए। शायद ही कभी अपने अगले युद्ध की भविष्यवाणी करते हैं, लेकिन अगला युद्ध तय तौर पर पिछले जैसा नहीं होता।
युद्ध की तैयारी के लिए बचे महज 3 साल
रिपोर्ट में बताया गया है कि युद्ध के जोखिम का हमारा आकलन चीन के राष्ट्रपति के आक्रामक रवैये और तेजी से बढ़ते सैन्य निर्माण पर आधारित है। चीन से आने वाले खतरे से निपटने के लिए ऑस्ट्रेलिया के पास महज 3 साल का ही समय है। विश्लेषण के अनुसार, 2027 के आसपास, ताइवान जलडमरूमध्य में बीजिंग की सैन्य क्षमता अमेरिका से भी ज्यादा होगी। इसके अलावा रिपोर्ट में जनसांख्यिकीय संकट को भी बड़ी वजह बताया गया है।