बॉलीवुड फिल्म ‘अर्जुन पटियाला ‘ का ट्रेलर बेहद ही मज़ेदार रहा जिसके बाद फिल्म का इंतज़ार फैंस कर रहे थे. आज ही ये फिल्म रिलीज़ हुई है और दर्शकों ने इस पर कैसा रिव्यु दिया है ये भी बता दें, तो चलिए जानते हैं कैसी है फिल्म की कहानी और आपको ये फिल्म देखनी चाहिए या नहीं.
कलाकार : दिलजीत दोसांझ,कृति सैनन,वरुण शर्मा,सीमा पहवा,रोनित रॉय
निर्देशक : रोहित जुगराज
मूवी टाइप : Action Comedy
अवधि : 1 घंटा 47 मिनट
रेटिंग : 2/5
कहानी: कहानी शुरू होती है, पंजाब के फिरोजपुर इलाके में हैंडसम पुलिसवाले अर्जुन पटियाला (दिलजीत दोसांझ) की पोस्टिंग होती है. अपने गुरु आईपीएस गिल (रोनित रॉय) के नक्शेकदम पर चल कर वह इलाके को क्राइम फ्री बनाना चाहता है. उसका एक मुंशी यानी कॉन्स्टेबल है ओनिड्डा सिंह (वरुण शर्मा) जो उसके हर काम का भागीदार है. अर्जुन पटियाला को जहां टीवी चैनल रिपोर्टर रितु रंधावा (कृति सेनन) भाव देती है, वहीं ओनिड्डा को कोई लड़की घास तक नहीं डालती, इसलिए वह भैंस को ही अपनी प्रेमिका बना लेता है.
कहानी आगे बढ़ती है, अर्जुन पटियाला इलाके को क्राइम फ्री करने के लिए रितु से पहले इलाके के गुंडों की जानकारी लेता है और फिर उन्हें आपस भी भिड़ा कर उनके खत्म करने की जुगाड़ में लड़ता है.कहानी में अजीबो-गरीब एमएलए प्राप्ति मक्कड़ (सीमा पाहवा) भी है, जो सारे गुंडों का सफाया करके खुद टॉप डॉन बनाना चाहती है. इसके बाद ये सभी मिलकर कैसे इसका सामना करते हैं देखें फिल्म में.
रिव्यू: कहानी बहुत ही फनी और बचकाने टर्न्स और ट्विस्ट के साथ आगे बढ़ती है. निर्देशक रोहित जुगराज ने अर्जुन पटियाला के जरिए स्पूफ जॉनर लाने की कोशिश की है, जिसमें फिल्म के किरदार कभी ऑडियंस से बात करने लगते हैं, तो कभी स्क्रीन पर फिल्म को लेकर कुछ फनी सा लिखा आने लगता है, यह मजेदार लगने के बजाय अटपटा लगा है. यानि कुलमिलाकर ऊटपटांग कहानी और कमजोर स्क्रीनप्ले के कारण फिल्म बांधने में नाकाम रहती है. इससे आप बोर भी हो सकते हैं.
फर्स्ट हाफ कॉमिडी करने की कोशिश की गई है, मगर सेकंड हाफ में निर्देशक ने कहानी ही नहीं किरदारों को भी खुला छोड़ दिया है और इस कारण क्लाइमैक्स एकदम ही खत्म हो गया. फिल्म की प्रॉडक्शन वैल्यू कमजोर है और उसे परदे पर जस्टिफाइ करने के लिए स्पूफ के अंदाज में डायलॉग भी रखे गए हैं.
एक्टिंग : सचिन जिगर, गुरु रंधावा और आकाश डी के संगीत में ‘मैं दीवाना तेरा’ व ‘दिल तोड़िया’ जैसे गाने ठीक-ठाक बन पड़े हैं. दिलजीत दोसांझ ने कॉमिडी में रंग जमाया है, मगर अपने अधपके किरदार के कारण उनकी मेहनत जाया हो जाती है. कृति के पास इस रोल में नया करने को कुछ नहीं था. ओनिड्डा सिंह की भूमिका में वरुण ने अच्छा-खासा मनोरंजन किया है. रोनित रॉय और पंकज त्रिपाठी जैसे अच्छे कलाकारों का भरपूर इस्तेमाल नहीं किया गया है. सीमा पाहवा अपनी भूमिका में फनी लगने के बजाय मिसफिट लगी हैं. सकूल के सीमित रोल में मोहम्मद जीशान अयूब याद रह जाते हैं.
क्यों देखें: इस फिल्म में आप छोड़ भी देंगे तो कोई नुकसान नहीं है.