गुजरात में पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति और कांग्रेस के बीच कभी हां कभी ना का खेल जारी है। इसका सबसे बड़ा कारण एतबार और अधिकार के बीच झूल रहा है, जिसके चलते दोनों के बीच चुनावी करार अंतिम रूप नहीं ले पा रहा है।
दरअसल, पाटीदार नेताओं का कांग्रेस के प्रति एतबार तब टूटा जब शुक्रवार रात कांग्रेस नेताओं ने सभी 182 सीटों पर अपने उम्मीदवार तय कर लेने की बात कही और कांग्रेस ने एनसीपी व जदयू के बागी नेता शरद यादव खेमे के लिए कुछ सीटें छोड़ने की घोषणा कर दी।
दूसरी ओर, दिल्ली के गुजरात भवन बुलाए गए चार पाटीदार नेताओं से कांग्रेस आलाकमान अथवा अन्य किसी नेता ने बातचीत नहीं की। पाटीदारों के आरक्षण को लेकर भी कांग्रेस अभी तक कोई ठोस फार्मूला नहीं निकाल पाई है।
शुक्रवार रात पाटीदार नेताओं के सुर बदलते ही कांग्रेस तत्काल डैमेज कंट्रोल में जुट गई। पार्टी पाटीदार नेताओं को नाराज नहीं करना चाहती है।
दरअसल दिल्ली आए पाटीदार नेता दिनेश बामनिया का कहना था कि उन्हें गुजरात प्रदेश अध्यक्ष भरत सिंह सोलंकी ने दिल्ली बातचीत के लिए बुलाया था, जबकि उनकी न तो किसी से मुलाकात हुई और न ही बातचीत के लिए बुलाया गया।
कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक खत्म होने के बाद कांग्रेस ने एनसीपी और शरद यादव से बातचीत की और सीटों पर तालमेल की घोषणा कर दी, लेकिन यह साफ नहीं है कि पाटीदारों के हिस्से कितनी सीटें आ रही हैं।
पाटीदारों ने तीस से अधिक सीटों पर दावा किया है, जबकि कांग्रेस दस से पंद्रह सीटें उन्हें सीधे तौर पर देने और कुछ पर उनकी पसंद का उम्मीदवार उतारने को तैयार है।
पाटीदार आंदोलन से जुड़े नेता कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पर लड़ेंगे या फिर कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार होंगे इसे लेकर अभी कुछ साफ नहीं है।
कांग्रेस नेतृत्व हर हाल में हार्दिक पटेल के साथ समझौता और सीटों का तालमेल करना चाहता है। कांग्रेस ने उम्मीद जताई है कि हार्दिक पटेल के साथ बातचीत जारी है और एक-दो दिन में उम्मीदवारों की घोषणा के साथ सारी स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।