देहरादून: नैसर्गिक सौंदर्य से परिपूर्ण उत्तराखंड में लंबे इंतजार के बाद अब पर्यटन को उद्योग का दर्जा देने की तैयारी है। राज्य सरकार की ओर से इस सिलसिले में उद्योग विभाग से रिपोर्ट मांगी गई थी। यह रिपोर्ट मिलने के बाद शासन मंथन में जुट गया है। यह कोशिश परवान चढ़ी तो प्रदेश में पर्यटन विकास के लिए ठीक उसी तरह की सुविधाएं मिलेंगी, जैसी उद्योग के लिए प्रदान की जाती हैं। उधर, पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने कहा कि अभी मंथन चल रहा है और जल्द ही उद्योग के साथ बैठक की जाएगी।
उत्तराखंड को पर्यटन प्रदेश बनाने के मद्देनजर पर्यटन को उद्योग का दर्जा देने की मांग लंबे अर्से से उठती रही है। इस कड़ी में वर्ष 2004 में तत्कालीन सरकार ने पर्यटन को उद्योग का दर्जा देने का निर्णय लिया, लेकिन यह कवायद सिर्फ शासनादेश ही सीमित होकर रह गई। इसमें यह साफ नहीं था कि उद्योग का दर्जा देने के बाद पर्यटन को क्या-क्या सुविधाएं, रियायतें दी जाएंगी। इसका खाका क्या होगा। परिणामस्वरूप तब बात आई-गई हो गई।
अब मौजूदा राज्य सरकार इसे लेकर गंभीर हुई है। सरकार ने इस संबंध में उद्योग विभाग को विभिन्न पहलुओं पर विचार कर उससे रिपोर्ट मांगी। अपर निदेशक उद्योग एससी नौटियाल के मुताबिक इसके लिए विभाग ने एक कमेटी गठित की। इस कमेटी की रिपोर्ट शासन को भेजी जा चुकी है। इसमें पर्यटन में कॉमर्शियल की बजाए इंडस्ट्रियल टैरिफ लगाने, पहाड़ों की भांति मैदानी क्षेत्रों को भी पर्यटन विकास में रियायतें देने, घनी आबादी वाले क्षेत्रों से इतर पर्यटन सुविधाओं का विस्तार करने समेत अन्य सुझाव दिए गए हैं।
इस रिपोर्ट के बाद शासन में भी मंथन प्रारंभ हो गया है। पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने बताया कि पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिया जाए या फिर इंसेंटिव पैकेज लाया जाए, इन बिंदुओं पर गंभीरता से विचार चल रहा है। जल्द ही उद्योग के साथ बैठक करने के साथ ही पर्यटन व उद्योग से जुड़ी एसोसिएशनों से बैठक की जाएगी। उन्होंने कहा कि इसके बाद निर्णय ले लिया जाएगा।
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