उत्तराखंड में चारधाम की सड़कें चौड़ी होने के बावजूद डेंजर जोन से मुक्त नहीं हो पाईं। गढ़वाल की पहाड़ियों पर 32 डेंजर जोन में सबसे ज्यादा 12 बदरीनाथ हाईवे पर हैं। हादसों के लिहाज से देवप्रयाग के निकट तोताघाटी सर्वाधिक खतरनाक है। हादसों में हर साल बड़ी संख्या में स्थानीय यात्री और पर्यटक हताहत हो रहे हैं।
ऑल वेदर रोड बनने के बाद चारधाम की सड़कें पहले की तुलना में चौड़ी और अच्छी हुई हैं। लेकिन इससे गाडियों की स्पीड बढ़ गई है और तीखे मोड़ व तीव्र ढलान अब ज्यादा खतरनाक साबित हो रहे हैं। चारधाम मार्ग पर कई स्थान बारिश में भूस्खलन की वजह से डेंजर जोन बने हुए हैं।
यहां कभी भी भूस्खलन शुरू हो जाता है। ऐसे में इन स्थानों पर बेहद सावधानी बरतने की की जरूरत है।सबसे लंबे 293 किलोमीटर ऋषिकेश-बद्रीनाथ मार्ग पर सबसे ज्यादा 12 डेंजर जोन हैं। इनमें सबसे ज्यादा खतरनाक तोताघाटी है। भूस्खलन की वजह से सिरोबगड़, चमधार और लामबगड भी बेहद खतरनाक हैं।
इसके अलावा पागलनाला, साकनीधार, खचेड़ानाला,कौडिया, बाजपुर, चढ़आ पीपल, खांखरा, बछेलीखाल इस सड़क पर डेंजर जोन हैं। दूसरे नंबर पर गंगोत्री मार्ग पर 10, केदारनाथ मार्ग पर पांच और यमुनोत्री मार्ग पर भी पांच डेंजर जोन हैं।
पहाड़ों पर दुर्घटनाओं के प्रमुख कारण
लोनिवि के पूर्व एचओडी हरिओम शर्मा का कहना है कि चारधाम यात्रा मार्गों दुर्घटनाओं के प्रमुख कारणों में ओवर स्पीड, मैदानी राज्यों से आने वाले वाहन चालकों को पहाड़ों में वाहन चलाने का अनुभव न होना, सड़कों पर अचानक भूस्खलन और पहाड़ किनारे सेफ्टी गार्डर वॉल का न होना प्रमुख कारण हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए विभागों की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन सबसे ज्यादा जरूरत वाहन चालकों को जागरूक करने की है।
पहाड़ पर सफर में बरतें सावधानियां
-वाहन की गति पर नियंत्रण रखें
-मोड और संकरे स्थान पर ओवरटेकिंग न करें
-पहाड़ पर चलाने का अनुभव नहीं तो ड्राइवर साथ लाएं
-चढ़ने वाले वाहनों को पहले जाने दें
-अपनी लेन में ही चलें
-शराब पीकर गाड़ी न चलाएं
-सड़क पर पाला पड़ा हो तो बहुत धीरे रखें चलें
चार हाईवे पर सर्वाधिक चार खतरनाक जगहें
बदरीनाथ हाईवे पर तोताघाटी, गंगोत्री मार्ग का डबराणी, केदारनाथ हाईवे का नैल और यमुनोत्री रोड पर सिल्क्यारा बैंड सबसे खतरनाक हैं। इन चार जगहों पर सर्वाधिक दुर्घटनाएं होती हैं।
नदी में कभी न उतरें
कई यात्री सड़क किनारे बह रही नदी देखकर रोमांचित हो जाते हैं। उनमें से कुछ लोग नदी किनारे के पत्थरों पर चढ़कर सेल्फी लेने लगते हैं और फिसलकर नदी में बह जाते हैं। कुछ लोग नदी किनारे स्नान करते करते नदी की गहराई में समा जाते हैं। इस तरह की घटनाओं में कई की जान जा चुकी है। लिहाजा नदी की लहरें दूर से ही देखें, पास जाना खतरनाक साबित हो सकता है।