देहरादून: गंगा नदी में प्रदूषण फैलाने वाली उधमसिंहनगर व हरिद्वार जिले की 13 फैक्ट्रियों मानकों का पालन नहीं करने की वजह से बंद किया गया है। जबकि अन्य छह फैक्ट्रियों के खिलाफ कार्यवाही गतिमान है। वहीं, रुद्रप्रयाग, देवप्रयाग, ऋषिकेश सहित गंगा नदी के किनारे बसे कस्बों में जल की गुणवत्ता में सुधार होने पर कैबिनेट सचिव प्रदीप कुमार सिन्हा ने खुशी जाहिर की।
कैबिनेट सचिव ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये उत्तराखंड सहित बिहार, उत्तरप्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिवों से नमामि गंगे कार्यक्रम की प्रगति की जानकारी ली। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने बताया कि नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत सीवरेज इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण, नदी के प्रवेश स्तर की गतिविधियां, औद्योगिक कचरा उपचार प्लांट्स, पानी की गुणवत्ता की मॉनीटरिंग, वनीकरण और जैव विविधता संरक्षण, ग्रामीण स्वच्छता और जन जागरूकता अभियान जैसे कार्य किए जा रहे हैं। राज्य और जिला गंगा समिति की बैठक नियमित रूप से हो रही हैं।
15 स्थानों पर गंगा नदी के जल की गुणवत्ता मापी जा रही है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने आठ स्थानों पर ए श्रेणी, सात स्थानों पर बी श्रेणी की गुणवत्ता पाई है। बी श्रेणी की गुणवत्ता वाले स्थल गंगा से निकलने वाली नहरों के हैं। इससे पता चलता है कि गंगा नदी के जल की गुणवत्ता उच्च है।
मुख्य सचिव ने बताया कि नदी किनारे 132 ग्राम पंचायतों को ओडीएफ किया गया है। प्रदूषण फैलाने वाली फैक्टरियों में से 49 ने मानकों का पालन शुरू कर दिया है। सीवेज प्रबंधन, घाट निर्माण, एसटीपी निर्माण के कार्य तेजी से चल रहे हैं। 32 परियोजनाओं में से 14 पूर्ण हो चुके हैं। 16 परियोजनाओं पर कार्य चल रहा है। ऋषिकेश में 26 एमएलडी की एसटीपी और हरिद्वार में सीवरेज नेटवर्क टेंडर की प्रक्रिया में है। इसके अलावा देवप्रयाग सेे उत्तरकाशी, उत्तरकाशी से मनेरी, रुद्रप्रयाग से कर्णप्रयाग और कर्णप्रयाग से विष्णुप्रयाग तक रिवर फ्रंट डेवलपमेंट का कार्य चल रहा है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान पेयजल सचिव अरविंद सिंह ह्यांकी और अन्य अधिकारी मौजूद थे।