हिन्दू ग्रंथों और शास्त्रों में भगवान की आराधना और पूजा करने को बहुत महावत दिया जाता है. ठीक उसी प्रकार निशदिन भगवन के मंदिर जाने का भी चलन प्रचलित है. वैसे यह तो हर कोई कहता है पर क्या आप जानते है कि इस मान्यता के पीछे का सच हमारे स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है. 
भारत में मंदिर में जाना एक धार्मिक संस्कार मन जाता है पर इस संस्कार के पीछे भी विज्ञान की एक बहुत जरूरी सीख़ छुपी हुई है. हम जब मंदिर जाते है तो हमारा मन मस्तिष्क और शरीर एक ही केंद्र यानि भगवान पर केंद्रित होता है और विज्ञान की दृष्टि से जब शरीर और मन नियंत्रित रूप से एक ही कार्य करते है तो इससे शरीर को व्यायाम का लाभ होता है
मंदिर में भगवान के दर्शन के दौरान हम वहां पर लगे घंट और घडियाल बजाते हैं जिसकी आवाज कुछ समय के लिए हमारे कानों में गूंजती रहती है. इस आवाज से हमारे शरीर के कुछ अंग एक्टिव हो जाते हैं जिससे एनर्जी लेवल बढ़ जाती है.हमे मंदिर के अंदर प्रवेश करने पर नंगे पैर चलना पड़ता है और परिक्रमा करनी पड़ती है इस कारण पैरों में मौजूद प्रेशर प्वाइंटस पर दवाब पड़ता रहता है जिससे हाई ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है और शारीरिक लाभ प्राप्त होता है.
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