केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) ने गुरुवार को नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ-2020) की रैंकिंग जारी कर दी। लगातार दूसरी बार रैंकिंग में पूरब के ऑक्सफोर्ड कहे जाने वाले इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) को तगड़ा झटका लगा। पिछली बार की तरह इस बार भी इविवि टॉप-200 की सूची से बाहर रहा।
मोती लाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान ने बनाई टॉप 50 में जगह
भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (ट्रिपलआईटी) भी टॉप-100 से बाहर हो गया। मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआईटी) 42वें स्थान से छह पायदान नीचे जरूर फिसला लेकिन टॉप-50 में रहकर उसने शहर की लाज बचाए रखी है।
लगातार गिर रही है रैंकिंग
पूर्व में प्राइवेट कंपनी शैक्षणिक संस्थानों की रैंकिंग जारी करती थी। उस पर तमाम सवाल उठने लगे थे। ऐेसे में मंत्रालय ने वर्ष 2016 से रैंकिंग की व्यवस्था लागू की थी। 2016 में इविवि को देशभर के विश्वविद्यालयों में 68वां स्थान मिला था। 2017 में 27 पायदान की गिरावट के साथ इविवि 95वें स्थान पर चला गया। तब से स्थिति सुधरने की बजाय बिगड़ती ही गई। वर्ष 2018 में इविवि टॉप-100 की सूची से बाहर होकर देश में 144 वें पायदान पर जा गिरा। वर्ष 2019 में इविवि टॉप-200 से बाहर हो गया। रैंकिंग से जुड़े इविवि के शिक्षक इस बार उम्मीद लगाए थे कि इविवि की साख फिर से सुधरेगी। पिछले दिनों प्राइवेट कंपनी की ओर से जारी रैंकिंग में इविवि को देश में 42वां स्थान मिला था। हालांकि, प्राइवेट रैंकिंग और एनआइआरएफ की रैंकिंग में काफी अंतर रहा।
ये हैैं प्रमुख वजह
रैंकिंग गिरने की पीछे कई वजह हैं। इविवि में शिक्षकों की कमी और शोध के स्तर में गिरावट भी इनमें प्रमुख वजह है। इस संदर्भ में इविवि के कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर आरआर तिवारी का कहना है कि सभी विभागों में शिक्षकों की कमी और पठन-पाठन का माहौल बेहतर न होने के चलते ऐसा हुआ है। छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों का साथ मिलने पर इविवि जरूर बेहतर रैंक हासिल कर सकेगा। इस दिशा में बेहतर प्रयास हो रहे हैं।
ट्रिपलआइटी 21 पायदान नीचे लुढ़का
ट्रिपलआईटी भी इस बार एक साथ 21 पायदान नीचे चला गया। ऐसे में संकेत अच्छे नहीं माने जा रहे हैं। वर्ष 2016 और 2017 की रैंकिंग में ट्रिपलआइटी देश के टॉप-100 तकनीकी संस्थानों में स्थान नहीं बना सका था। 2018 की रैंकिंग में इसे देश के टॉप-100 तकनीकी संस्थानों में 90वां स्थान मिला था। 2019 में आठ पायदान आगे बढ़कर 82वें पायदान पर पहुंच गया। वर्ष 2020 में 21 पायदान नीचे गिरकर 103 नंबर पर पहुंच गया। इस संदर्भ में संस्थान के निदेशक प्रो. पी नागभूषण कहते हैं कि संस्थान की तरफ से बेहतर प्रयास किए जा रहे हैं। संस्थान लगातार गुणवत्तापूर्ण शैक्षिक व्यवस्था देने का प्रयास कर रहा है।
एमएनएनआइटी ने बचाए रखी लाज
मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआईटी) भी इस बार 42वें स्थान से छह पायदान नीचे फिसला है। हालांकि टॉप-50 में रहकर उसने शहर का मान बनाए रखा। एमएनएनआईटी ने वर्ष 2016 में देश के टॉप-100 तकनीकी संस्थानों में 23वां स्थान हासिल किया था। इसी तरह वर्ष 2017 में 18 पायदान की गिरावट के साथ 41वें पायदान पर पहुंच गया था। वर्ष 2018 की रैंकिंग में 48वें स्थान पर चला गया। 2019 में छह पायदान की बढ़त के साथ यह 42वें स्थान पर पहुंच गया था। हालांकि, इस बार 48वें स्थान पर पहुंचकर टॉप-50 में जगह बनाए रखी। संस्थान के निदेशक प्रोफेसर राजीव त्रिपाठी कहते हैं कि टीचिंग एंड लर्निंग प्रोसेस में कुछ गिरावट से ऐसा हुआ है। इसके पीछे शिक्षकों की कमी है। हालांकि, प्रयास है कि अगले वर्ष टॉप-30 में शामिल हों।