आरबीआई बनाम सरकार : जानिए क्या है RBI Act सेक्शन-7 जिसपर मचा है हंगामा

नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) और केंद्र सरकार के बीच बने मतभेदों से आई दरार बड़ी ही विकट परिस्थितियों की ओर इशारा दे रही है। जहां एक ओर इस मतभेद के चलते आरबीआई गवर्नर के इस्तीफा देने की ख़बरें चर्चा में हैं। वहीं कहा ये भी जा रहा है कि लगातार बढ़ते तनाव में कमी ना आने के कारण केंद्र सरकार अब अपनी महाशक्तियों का इस्तेमाल करने की तैयारी में है। जिससे वह बैंकों के एनपीए के मामले में अपनी स्वतंत्र दखल दे सके।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, केंद्र सरकार आरबीआई ऐक्ट के सेक्शन-7 को लागू करने पर विचार कर रही है। ये पहली बार है जब आजाद भारत की किसी सरकार में आरबीआई के खिलाफ सेक्शन-7 लागू करने पर चर्चा हो रही है। सोशल मीडिया पर भी इसकी खासी चर्चा है और ट्विटर पर RBI Act ट्रेंड कर रहा है। वित्त मंत्रालय ने इस बात की पुष्टि की है कि उसने हालिया कुछ हफ्तों में सेक्शन-7 के प्रावधानों का इस्तेमाल करते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल को कई चिट्ठियां भेजी थीं।

इन चिट्ठियों में नकदी प्रवाह से लेकर एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग ऐसेट्स), नॉन-बैंक फाइनैंस कंपनियों और पूंजी की जरूरत जैसे तमाम मुद्दों की चर्चा की गई थी। ऐसे में अहम सवाल ये है कि आरबीआई ऐक्ट का सेक्शन-7 आखिर है क्या?
1. आरबीआई ऐक्ट का सेक्शन-7 केंद्र सरकार को यह अधिकार देता है कि वह रिजर्व बैंक के गवर्नर से सलाह-मशविरा करने के बाद जनता के हित में समय-समय पर आरबीआई को निर्देश दे सकती है।
2. सेक्शन सात लागू होने की स्थिति में आरबीआई का सामान्य अधीक्षण तथा कामकाज व मामलों का संचालन सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को सौंप दिया जाएगा, जो उसकी सभी शक्तियों का इस्तेमाल कर सकता है और उन सभी गतिविधियों को अंजाम दे सकता है, जिसे आरबीआई व्यवहार में लाती है।
3. इसके अलावा, किसी तरह के टकराव से बचने के लिए सेंट्रल बोर्ड, गवर्नर और उनकी अनुपस्थिति में उनके द्वारा नियुक्त डेप्युटी गवर्नर द्वारा बनाए गए नियमों के तहत उस सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के पास बैंक के सामान्य मामलों एवं कामकाज के सामान्य अधीक्षण (जनरल सुपरिन्टेंडेंस) एवं निर्देशन की शक्तियां होंगी और वह उन सभी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए सभी कार्रवाइयां कर पाएगा, जिसे करने का अधिकार बैंक के पास है।

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