इस्लाम में दान को जकात कहते हैं। रोजा रखने के दौरान अपनी आमदनी का कुछ हिस्सा जरूर दान करें। जथा शक्ति तथा भक्ति भाव से जरूरतमंदों को दान दें। उन्हें इफ्तार में खाना खिलाएं। रोजे रखने के साथ-साथ रोजाना पांचों वक़्त की नमाज जरूर अदा करें।
इस्लाम में रमजान का महीना बेहद पवित्र माना जाता है। यह इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना होता है। इस साल रोजे 24 मार्च से शुरू होगी। बुधवार को चांद का दीदार न होने की वजह से अप जुमे से जुमे से रोजे की शुरुआत होगी। इस महीने में इस्लाम धर्म के मानने वाले लोग रोजे रखते हैं और खुदा से इबादत भी करते हैं। इसमें सुबह में अजान पढ़ने के साथ सहरी की जाती है। वहीं, दिनभर उपवास रखते हैं। इस दौरान खाने पीने की मनाही होती है। वहीं, शाम में इफ्तार करते हैं। रोजे रखने के लिए कई कठोर नियम हैं। इन नियमों का पालन अनिवार्य होता है। आइए जानते हैं कि रमजान के पाक महीने में क्या करें और क्या न करें-
क्या करें
-रमजान के महीने में रोजाना नमाज अदा करना अनिवार्य है। इसके लिए रोजे रखने के साथ-साथ रोजाना पांचों वक़्त की नमाज जरूर अदा करें।
-वक्त पर सहरी और इफ्तार करें।
-खुदा की इबादत अधिक से अधिक करें।
-सहरी और इफ्तार के लिए खाने पीने की चीजें दान करें।
-कई लोगों का मानना है कि रोजे रखने के बाद स्नान नहीं करना चाहिए। आप रोजा रखने के दौरान स्नान कर सकते हैं। आप चाहे तो नमाज अदायगी से पहले स्नान कर सकते हैं।
-इस्लाम में दान को जकात कहते हैं। रोजे रखने के दौरान अपनी आमदनी का कुछ हिस्सा जरूर दान करें। जथा शक्ति तथा भक्ति भाव से जरूरतमंदों को दान दें। उन्हें इफ्तार में खाना खिलाएं।
-अगर आपके पास पर्याप्त समय रहता है, तो रोजे रखने के दौरान कुरान पढ़ें।
क्या न करें
-रोजे रखने के दौरान धूम्रपान न करें।
-दिनभर उपवास रखें। मगरिब अजान से पहले कुछ भी न खाएं।
-किसी भी व्यक्ति के प्रति द्वेष की भावना न रखें।
-रोजा रखने के दौरान दिन के समय में दवा का सेवन न करें। बीमार व्यक्ति को रोजा न रखने की इजाजत है।