लोकसभा चुनाव में अपनी जीत को दोहराने के लिए भाजपा कोई कोर कसर छोड़ना नहीं चाहती। लगातार संगठन कार्यकर्ताओं को सक्रिय रखने की कोशिश में रही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र में फिर वही बूथ फॉर्मूला दोहराना चाहते हैं, जिसने सपा की पूर्ण बहुमत की सरकार को उखाड़कर भाजपा को ऐतिहासिक फतह दिलाई। इशारा मिला है कि अमित शाह अगले महीने कानपुर आ सकते हैं।
पिछले विधानसभा चुनाव के मैदान में भाजपा उतरी, तब उसके पास सूबे में लंबे वनवास काल की कमजोरी थी, जबकि सत्ताधारी सपा की जड़ें मजबूत थीं। ऐसे में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ‘बूथ जीते तो सीट जीते’ का फॉर्मला लेकर आए। पहली बार उन्होंने कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र के सभी बूथ अध्यक्षों का सम्मेलन बुलाया। बूथ अध्यक्षों से संवाद कर अहसास कराया कि पार्टी के लिए उनकी अहमियत क्या है। उनका जोश बढ़ाया। उसका सकारात्मक परिणाम मिला और भाजपा ने कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र में जीत का इतिहास रच दिया। अब पार्टी केंद्र, प्रदेश सहित नगरीय निकायों में काबिज है। कार्यकर्ता विभिन्न कार्यक्रमों के जरिये सक्रिय तो है, लेकिन समय-समय पर उसकी नाराजगी सामने आ रही है। ऐसे में अपना पुराना दांव आजमाने का फैसला राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने लिया है। प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल ने क्षेत्रीय पदाधिकारियों को बता दिया है कि अपनी तैयारी रखें, राष्ट्रीय अध्यक्ष अगले माह कानपुर-बुंदेलखंड का क्षेत्रीय बूथ सम्मेलन कर सकते हैं।
बड़ा होगा बूथ अध्यक्षों का समागम
बूथ अध्यक्षों का यह सम्मेलन पार्टी के अन्य कार्यक्रमों से खास होगा। दरअसल, कानपुर-बुंदेलखंड में 19000 से अधिक बूथ हैं। इतनी बड़ी संख्या में बूथ अध्यक्ष जुटेंगे। उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष सीधे खुद चुनावी रणनीति समझाएंगे। संगठन के लिहाज से इतना अहम और बड़ा सम्मेलन कोई नहीं होता।