म्यांमार के राखिन में शुक्रवार को 24 पुलिस पोस्ट और आर्मी बेस पर रोहिंग्या मुस्लिम उग्रावादियों के हमले में 21 विद्रोहियों और सुरक्षाबल के 11 जवानों की मौत हो गई।
म्यांमार की सेना ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि अभी भी कुछ इलाकों में लड़ाई जारी है। धार्मिक घृणा के चलते बंटे तटीय देश में पिछले साल अक्टूबर से चल रही हिंसा में यह सबसे भीषण हमला बताया जा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान के नेतृत्व वाले एक आयोग की रिपोर्ट में भी म्यामांर में हुई हिंसा का उल्लेख करते हुए इस विभाजन को भरने के लिए तत्काल कार्रवाई का अनुरोध किया गया था। स्टेट काउंसलर के कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि शुक्रवार तड़के करीब 150 उग्रवादियों ने 20 से ज्यादा पुलिस चौकियों पर हमला किया। सैनिकों ने भी जवाबी कार्रवाई की।
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बयान में बताया गया, ‘कई पुलिस चौकियों और थानों पर हमला किया गया और देसी बारूदी सुरंगों का इस्तेमाल भी किया गया।’ भीषण हिंसा के शिकार इलाके के निकट स्थित बुथिदाउंग शहर के एक पुलिस अधिकारी ने इस अशांति की पुष्टि की। अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर बताया, ‘स्थिति जटिल है… सेना आ रही है।’
रोहिंग्या मुसलमानों को बांग्लादेश से आए अवैध प्रवासी बताकर म्यांमार में नागरिकता देने से इनकार कर दिया गया है। रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ बीते साल अक्टूबर में सेना ने काफी कार्रवाई की थी जिसके परिणामस्वरूप 87 हजार रोहिंग्या बांग्लादेश चले गए थे। राखिन में करीब 10 लाख रोहिंग्या रहते हैं। वहीं ढाका में 4 लाख से ज्यादा रोहिंग्या लोग शरणार्थी कैंपों में रह रहे हैं।