डोकलाम विवाद का समाधान ना केवल भारत की कूटनीतिक जीत है बल्कि इसके जरिए उसने चीन के छोटे पड़ोसी देशों को भी कड़ा संदेश दे दिया। दरअसल भारत जहांं एक तरफ लगातार विवादित क्षेत्र से सेना हटाने के बाद कूटनीतिक बातचीत के जरिए विवाद का हल निकालने पर जोर दे रहा था, तो वहीं चीन की ओर से भारत को लगातार युद्ध की धमकियां मिल रही थीं।
चीन के दबाव में नहीं आएगा भारत
आपको बता दें कि डोकलाम विवाद पर चीन आखिरकार भारत के आगे झुक गया और सीमा से अपनी सेना हटाने के लिए तैयार हो गया है। भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक दोनों देश डोकलाम बॉर्डर से सेना हटाने को तैयार हो गए हैं। चीन ने यह भी साफ नहीं किया है कि वह भविष्य में डोकलाम में सड़क बनाएगा या नहीं। लेकिन भारत ने यह साफ कर दिया है कि वह चीन के दबाव में नहीं आएगा।
आपको बता दें कि डोकलाम विवाद पर चीन आखिरकार भारत के आगे झुक गया और सीमा से अपनी सेना हटाने के लिए तैयार हो गया है। भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक दोनों देश डोकलाम बॉर्डर से सेना हटाने को तैयार हो गए हैं। चीन ने यह भी साफ नहीं किया है कि वह भविष्य में डोकलाम में सड़क बनाएगा या नहीं। लेकिन भारत ने यह साफ कर दिया है कि वह चीन के दबाव में नहीं आएगा।
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चीन के पड़ोसी देशों को भारत का कड़ा संदेश
चीन की धमकियों के खिलाफ डोकलाम में भारत की इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि चीन के छोटे पड़ोसी देश इस तरह के विवादों को कूटनीतिक तरीके से हल सकते हैं। डोकलाम समाधान के जरिए भारत ने दूसरे देशों को यह कड़ा संदेश दिया कि सैन्य संकल्प के जरिए ऐसी चुनौतियों का सामना किया जा सकता है।