क्या बुजुर्ग और महिलाएं पार करेंगे नीतीश की नैया, रुझानों के साथ आगे एनडीए

क्या बुजुर्ग और महिलाएं पार करेंगे नीतीश की नैया, रुझानों के साथ आगे एनडीए

पटना। बिहार विधानसभा चुनावों के शुरुआती रुझानों में एनडीए को बहुमत मिलता नज़र आ रहा है हालांकि महागठबंधन भी कड़ी टक्कर दे रहा है. ऐसा माना जा रहा था कि नीतीश कुमार के खिलाफ एंटीइनकम्बेंसी है और बढ़ती बेरोजगारी उन्हें चुनावों के नतीजों में बड़ा झटका देने जा रही है. हालांकि शुरुआती रुझानों में जेडीयू को सीटों का नुकसान तो नज़र आ रहा है लेकिन ये उतना बड़ा नहीं है जिसकी महागठबंधन ने उम्मीद की थी.

बता दें कि इंडिया टुडे- एक्सिस माई इंडिया के पोल में समाने आया था कि भले ही युवा वोटर्स तेजस्वी यादव और महागठबंधन का खुलकर साथ दे रहे हों लेकिन 36 वर्ष आयु से ऊपर का वोटर अभी भी NDA और खासकर नीतीश कुमार के समर्थन में बने रहेंगे. सर्वे के मुताबिक महागठबंधन ने युवाओं में अहम बढ़त बनाई है और 26 से लेकर 35 साल के वोटर तेजस्वी के पक्ष में नज़र आए थे. हालांकि इस आयुवर्ग में भी 36% वोटर नीतीश का ही साथ देते नज़र आ रहे थे. इन दोनों ही आयुवर्ग में से 7% ही एलजेपी के पक्ष में नज़र आए थे. 15 से 25 साल आयुवर्ग के भी 34% वोटर NDA के पक्ष में नज़र आ रहे थे.

क्या चल गया जंगलराज का कार्ड?

बता दें कि बिहार सरकार के सभी बड़े मंत्री, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, बीजेपी के सभी बड़े नेता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लगातार चुनावी कैंपेन और रैलियों में लालू यादव के ‘जंगलराज’ का जिक्र किया था. जानकारों के मुताबिक भले ही युवाओं में जंगलराज की स्मृति न हो और लॉ एंड ऑर्डर उनके लिए कोई मुद्दा न रहा हो लेकिन 36 साल से ऊपर के वोटर्स के लिए ये एक मुद्दा रहा है और जेडीयू-बीजेपी को रुझानों में मिल रहीं सीटों से बात साबित होती भी नज़र आ रही है. सर्वे के मुताबिक मुख्यमंत्री के चेहरे के लिए 40% लोगों ने तेजस्वी यादव को अपनी पहली पसंद बताया था लेकिन नीतीश कुमार के पक्ष में भी करीब 35% लोग रहे थे.

चुपचाप तीर छाप’ का नारा चला?

बता दें कि भले ही कैंपेन के दौरान महागठबंधन काफी आगे नज़र आ रहा था और NDA पिछड़ रहा था लेकिन वोटिंग और एग्जिट पोल्स के बाद इस बात का आभास हो गया था कि नीतीश के समर्थन में ‘साइलेंट वोटर’ फैक्टर काम कर सकता है. चुनावों में ‘चुपचाप तीर छाप’ का नारा भी सामने आया और ऐसा माना जा रहा था कि औरतों के एक बड़े वर्ग ने इस बार भी बिना शोर-शराबे के नीतीश के समर्थन में ही मतदान किया है. हालांकि अभी मतगणना जारी है और आखिरी नतीजों के लिए इंतज़ार करना ज़रूरी है.

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