उत्तराखंड में कोविड कर्फ्यू एक हफ्ते बढ़ाकर 10 अगस्त तक कर दिया है। इस बार भी कर्फ्यू के प्रतिबंध पिछले हफ्ते की तरह यथावत रहेंगे। सोमवार को मुख्य सचिव डा. एसएस संधु ने यह आदेश जारी किए हैं। फिलहाल 10 अगस्त की सुबह छह बजे तक यह आदेश प्रभावी रहेंगे। सरकार ने रेल, हवाई व सड़क मार्ग से आने वाले ऐसे व्यक्तियों जिनके पास दो डोज वैक्सीन का 15 दिन पुराना प्रमाण पत्र है, उनके लिए बिना कोरोना जांच के उत्तराखंड में प्रवेश को बरकरार रखा है, जबकि एक डोज वाले व्यक्तियों के लिए अभी भी 72 घंटें पूर्व की आरटीपीसीआर, ट्रूनेट, व एंटीजन जांच की बाध्यता अनिवार्य रूप से रहेगी।
इन सभी व्यक्तियों को स्मार्ट सिटी के पोर्टल पर पंजीकरण की व्यवस्था भी अनिवार्य की गई है। सरकार ने राज्य के सभी सरकारी व प्राइवेट स्कूलों के संचालन के लिए शिक्षा विभाग की जारी गाइड लाइन को यथावत रखा है, जबकि सामाजिक, राजनीतिक, मनोरंजन, सांस्कृतिक समारोह में बड़ी संख्या में मौजूदगी पर पूर्व की भांति प्रतिबंध लगाया है। आदेश में यह उल्लेख नहीं किया है कि यह संख्या कितने तक सीमित होगी। पर्यटन स्थलों पर वीकेंड पर भी पूर्व की भांति जिलाधिकारियों को निर्णय लेने के लिए अधिकार दिया है। सरकार ने पुलिस-प्रशासन को निर्देश दिया है कि कोविड गाइडलाइन्स को सख्ती से पालन करवाया जाए। कहा कि बिना मास्क के घूमने वाले लोगों के खिलाफ चालानी कार्रवाई की जाए।
उत्तराखंड में सोमवार को कोरोना के 37 नए मरीज मिले और किसी भी संक्रमित की मौत नहीं हुई। हालांकि बैकलॉग की मौतों के रूप में दो मरीजों की मौत दिखाई गई हैं। इसके साथ ही राज्य में कुल मृतकों की संख्या 7363 हो गई है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार सोमवार को देहरादून जिले में सर्वाधिक नौ नए मरीज मिले। जबकि यूएस नगर में छह, अल्मोड़ा में पांच, हरिद्वार, नैनीताल, पौड़ी और पिथौरागढ़ में तीन तीन नए मरीज मिले। चम्पावत और टिहरी में एक भी नया मरीज नहीं मिला है।
राज्य के अस्पतालों में भर्ती व होम आईसोलेशन में रह रहे 71 मरीजों को डिस्चार्ज किया गया जिससे राज्य में ठीक होने वाले मरीजों की कुल संख्या तीन लाख 28 हजार 224 हो गई है। जबकि राज्य में एक्टिव मरीजों की संख्या सिर्फ 574 रह गई है। सोमवार को 22 हजार से अधिक सैंपलों की रिपोर्ट आई जबकि 24 हजार से अधिक सैंपल जांच के लिए भेजे गए। राज्य में सोमवार को संक्रमण की दर 0.16 प्रतिशत रही। जबकि मरीजों के ठीक होने की दर 96 प्रतिशत के करीब है।