वाशिंगटन। अमेरिका में नई सरकार के गठन की प्रक्रिया धीरे-धीरे गति पकड़ने लगी है। निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन मंगलवार को अपने मंत्रिमंडल की घोषणा करेंगे। वित्त मंत्री का चयन वह पहले ही कर चुके हैं। इस बीच ट्रंप के पर्यवेक्षकों की ओर से कई जगहों पर दोबारा मतगणना को बाधित करने की कोशिशें की गई। यही नहीं ट्रंप कैंपेन की ओर से रोड़े अंटकाने का काम लगातार जारी है। ट्रंप कैंपेन ने जॉर्जिया में भी दोबारा मतगणना के लिए अर्जी दायर की है।
मंगलवार तक करें इंतजार-
समाचार एजेंसी रायटर के मुताबिक, व्हाइट हाउस के आगामी चीफ ऑफ स्टाफ रॉन क्लेन ने रविवार को एबीसी के एक कार्यक्रम में कहा, ‘आपको इस मंगलवार को नई कैबिनेट की जानकारी मिल जाएगी। अगर आप जानना चाहते हैं कि उसमें कौन-कौन शामिल होगा तो इसके लिए आपको मंगलवार तक इंतजार करना होगा, जब निर्वाचित राष्ट्रपति खुद इसकी घोषणा करेंगे।’
सभी वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व देने का वादा-
बाइडन ने अपने प्रशासन में अमेरिका के सभी वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व देने का वादा किया है। पिछले हफ्ते उन्होंने कहा था कि कैबिनेट में ऐसे लोगों को शामिल किया जाएगा, जो डेमोक्रेटिक पार्टी समेत सभी को स्वीकार्य हों। उन्होंने अपने मंत्रिमंडल के लिए कुछ लोगों का चयन भी कर लिया है, जिनमें पूर्व फेडरल चेयरमैन जेनेट येलेन, वर्तमान फेडरल गवर्नर लाएल ब्रेनार्ड, सराह ब्लूम रस्किन और अटलांटा के फेडरल रिजर्व बैंक के प्रेसिडेंट राफेल बोस्टिक शामिल हैं।
ट्रंप की चुनाव प्रचार अभियान टीम-
इस बीच अमेरिका में एक संघीय न्यायाधीश ने देश के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चुनाव प्रचार अभियान टीम की तरफ से पेंसिलवेनिया में दायर उस मुकदमे को खारिज कर दिया है, जिसमें लाखों मतों को अवैध घोषित करने की मांग की गई थी। यूएस मिडिल डिस्टि्रक्ट ऑफ पेंसिलवेनिया के न्यायाधीश मैथ्यू ब्राउन ने ट्रंप कैंपेन का अनुरोध शनिवार को खारिज कर दिया। कोर्ट के इस फैसले से तीन नवंबर को हुए चुनाव के परिणामों को चुनौती देने के राष्ट्रपति ट्रंप के प्रयासों को खासा झटका लगा है।
ट्रंप कैंपेन ने दस्तावेज को तोड़-मरोड़ कर पेश किया-
राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडन विजयी रहे हैं। न्यायाधीश ब्राउन ने फैसले में कहा कि ट्रंप कैंपेन ने दस्तावेज को तोड़-मरोड़ कर पेश किया और आरोपों के समर्थन में सुबूत पेश नहीं किए। ट्रंप कैंपेन मतदान प्रक्रिया में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए इस महीने की शुरुआत में मुकदमा दायर किया था। नवनिर्वाचित राष्ट्रपति बाइडन ने पेंसिलवेनिया में ट्रंप को 81,000 से भी अधिक मतों के अंतर से पछाड़ दिया। इस महत्वपूर्ण राज्य में 20 इलेक्टोरल कॉलेज वोट हैं।
दोबारा मतगणना को बाधित करने की कोशिश-
विस्कॉन्सिन की सबसे बड़ी काउंटी के चुनाव अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पर्यवक्षकों ने दोबारा गिनती को बाधित करने की कोशिश की और कई बार गणना के लिए निकाले गए हर मतपत्र पर आपत्ति जताई। ट्रंप ने मिलवॉकी और डेन काउंटी में फिर से मतगणना कराने का अनुरोध किया था। डेमोक्रेटिक नेता जो बाइडन ने यहां 20,600 मतों के अंतर से जीत हासिल की है। इससे पहले इतने बड़े अंतर से मिली कोई जीत दोबारा मतगणना के बाद हार में नहीं बदली है। ऐसे में कई लोगों का यह मानना है कि ट्रंप फिर से मतगणना इसलिए करा रहे हैं, ताकि वह अंतत: अदालत में यहां मतदान को चुनौती दे सकें। ट्रंप ने कई अहम राज्यों में चुनाव परिणाम को अदालत में चुनौती दी है।
जॉर्जिया में दोबारा मतगणना के लिए ट्रंप कैंपेन ने दायर की अर्जी-
ट्रंप कैंपेन ने जॉर्जिया में वोटों की दोबारा गिनती के लिए एक याचिका दायर की है। नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन ने रिपब्लिकन के गढ़ वाले इस प्रांत में ट्रंप को 12 हजार से अधिक वोटो से हराया है। गिनती में धांधली के आरोपों के बाद यहां पचास लाख वोटों की गिनती हाथों से की गई थी। शुक्रवार को बाइडन की जीत को गवर्नर ने भी प्रमाणित कर दिया था। वर्ष 1992 के बाद बाइडन पहले पहले डेमोक्रेट हैं, जिन्होंने कांटे के मुकाबले वाले इस प्रांत में जीत दर्ज की है। ट्रंप कैंपेन ने कहा कि बिना हस्ताक्षर मिलान के लिए दोबारा मतगणना मात्र दिखावा होगी।
भारत के साथ संबंध होंगे और मजबूत-
बाइडन प्रशासन के सत्ता में आने से भारत और अमेरिका के संबंध और अधिक मजबूत होंगे… वहीं अमेरिका को इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव से निपटने में नई दिल्ली के साथ काम करने का अवसर मिलेगा। ओबामा प्रशासन के साथ वरिष्ठ नीति सलाहकार के तौर पर काम कर चुकीं सोहिनी चटर्जी ने कहा कि भारत को लेकर ट्रंप और बाइडन की नीतियों में बहुत अधिक अंतर नहीं होगा, क्योंकि दोनों ही यह मानते हैं कि भारत इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक साझेदार है। कोलंबिया विश्वविद्यालय में प्रोफेसर सोहिनी का कहना है कि सुरक्षा परिषद जैसे संस्थानों में भारत और अमेरिका के बीच एक नई जुगलबंदी देखने को मिल सकती है। बता दें कि सुरक्षा परिषद में अस्थायी सदस्य के तौर पर भारत को एक बार फिर चुना गया है। उसका दो वर्ष का कार्यकाल 2021 जनवरी से शुरू होगा।