1. अब तू दरवाज़े से अपने नाम की तख़्ती उतार लफ़्ज़ नंगे हो गए शोहरत भी गाली हो गई. 2. अपने अफ़्साने की शोहरत उसे मंज़ूर न थी उस ने किरदार बदल कर मिरा क़िस्सा लिख्खा. 3. बिकता रहता सर-ए-बाज़ार कई क़िस्तों …
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