Tag Archives: पर लड़कियों की अलग दुनिया का क्या करेंगे?

वीरे दी वेडिंग: संस्कार की बात ठीक, पर लड़कियों की अलग दुनिया का क्या करेंगे?

फिलहाल कंटेंट की वजह से 'वीरे दी वेडिंग' की खूब चर्चा हो रही है. वैसे इसकी कहानी बिना सिर पैर की है. कुछ ऐसे कि 'गम में डूबो तो थाईलैंड चले जाओ. ब्रेकअप हो तो नशे में डूब जाओ. असल जिंदगी में ऐसा होना बहुत आम नहीं है.' कंटेंट की वजह से फिल्म की खूब आलोचना हो रही है. तमाम दर्शकों को फिल्म का कंटेंट पच नहीं रहा है. खासकर फिल्म में दिखाई गई फीमेल लीड्स की लाइफस्टाइल. हालांकि कई मायनों में फिल्म खराब भले हो, लेकिन तमाम ऐसी चीजें भी हैं जिसकी वजह से इसे तवज्जो दिया जाना चाहिए. ये फिल्म महि‍लाओं की अपनी अलग दुनिया और लाइफस्टाइल से रू-ब-रू कराती है. ये दुनिया है जरूर पर कुछ-कुछ सीक्रेट. आइए जानते हैं क्यों वीरे को नोटिस करना चाहिए. #1. मेल EGO को लड़कियों का जबरदस्त ठेंगावीरे दी वेडिंग में भी बाकी बॉलीवुड फिल्मों की तरह रोमांस, मिलना-बिछड़ना और फिर रोने-धोने का मसाला है. लेकिन इसके साइड इफेक्ट नहीं हैं. क्योंकि इसमें नजर आई लड़कियों के लिए ब्रेकअप के दर्द की दवा किसी बंद कमरे में आंसू बहाना या 'नो मेकअप लुक' में नजर आना नहीं है. बल्कि पहले से भी ज्यादा ग्लैम लुक में हॉलिडे एन्जॉय करते हुए चीजों को पीछे छोड़ देना है. लड़कियों का ये कूल एटीट्यूड 'मेल इगो' को झटका देता है. इस पर आपत्ति क्यों? क्या गर्लफ्रेंड से ब्रेकअप के बाद दोस्तों संग शराब पार्टी करने का कॉपीराइट तो सिर्फ लड़कों के पास ही है. #2. कल्चरल शॉक या नए ट्रेंड को देखने की आदत नहींबॉलीवुड में अब तक जितना पुरुषों के 'सेक्शुअल डिजायर' पर खुलकर बात हुई है, उतनी कभी फीमेल किरदारों को सेक्शुअली एक्टिव नहीं दिखाया गया है. अब तक फिल्मों में लड़कों को ही एडल्ट कॉमेडी करते देखा गया है. वीरे दी वेडिंग में मुख्य धारा की हिंदी सिनेमा से अलग, महिलाओं का ऐसा रंग-ढंग शायद पहली बार देखने को मिल रहा है. जबकि ऐसा नहीं है कि रियल लाइफ में ये किरदार या लोग देखने को नहीं मिलते. इस फिल्म को देखते-देखते ज्यादातर लड़कियों को अपने फ्रेंड ग्रुप्स की तमाम कहानियां याद आ ही जाएंगी, जो 'वीरे दी वेडिंग' के तमाम किरदारों से मिलती-जुलती हैं. फिल्म में गालियों का इस्तेमाल यकीनन अजीब है. ये एक तरह का कल्चरल शॉक भी देता है. लेकिन क्या सच में ऐसा हो नहीं रहा? गालियां अगर हीरो के मुंह से निकले तो थि‍एटर में तालियां सुनने को मिलती हैं लेकिन सिनेमा में जब ऐसी गालियां किसी हिरोइन की जुबान से निकलती है तो लोगों को सांप सूंघने लगता है. क्यों भाई? पिछले 18 सालों में दुनिया बहुत बदल गई है. अब लड़कियों को तय खांचे में मत देखिए. #3. शादियों में इस झोल का क्या किया जाएमूल मसला शादियों में किसी लड़की की अपनी पसंद का है. साल नहीं गिन पाएंगे तब से ये दिक्कत है. कहते हैं- 'शादियां दो दिलों को जोड़कर होती हैं.' पर, नहीं- 'हमारे यहां की शादियों में दो दिलों का रिश्ता कम, पर रिश्तेदारों के दिल ज्यादा जुड़े होते हैं.' वीरे दी वेडिंग ने फिर इसकी याद दिला दी. लड़की को ससुराल की हर आदत को अच्छे से सीखना पारंपरिक शादियों की सबसे बड़ी डिमांड है. पर कालिंदी (करीना कपूर का किरदार) जैसी लड़कियों का क्या किया जाए? जिनका मानना है - "जो जैसा हो उसके साथ वैसे ही पेश आना चाहिए." ऐसी सोच वाली लड़कि‍यों की शादी आसानी से होती भी तो नहीं. वीरे दी वेडिंग की कालिंदी की शादी रुक गई. ये तो अच्छा था कि उसे समझने वाला लाइफ पार्टनर है वरना कालिंदी की शादी मुश्कि‍ल थी. वैसे है यह फ़िल्मी कहानी ही है. भला असल जिंदगी में किसी कालिंदी को कोई लड़का इतना भाव कहां देता है? #4. और लड़कियों को क्यों पसंद आएगी ये फिल्मवीरे दी वेडिंग बॉक्स ऑफिस पर जमकर कमा कर रही है. तमाम कमियों के बावजूद वीरे दी वेडिंग में कुछ ऐसा है जो नई पीढ़ी खासतौर से लड़कियों/महिलाओं को पसंद आ रही है. ज्यादातर 30-35 साल की उम्र तक की लड़कियों को. दरअसल, वो इस फिल्म के तमाम किरदारों से खुद को जुड़ा महसूस कर रही हैं. एक पुरुष प्रधान सोच की प्रक्रिया में आप भले ही फिल्म की आलोचना कर निकल लें, लेकिन ज्यादातर लड़कियां 'वीरे दी वेडिंग' की असलियत से इत्तेफाक रखती हैं. स्वरा के बोल्ड सीन पर तमाम बहस के लिए स्पेस जरूर होना चाहिए, लेकिन यह भी मत भूलिए कि महिलाओं में प्यार, क्रोध, ममता, दया जैसे इमोशंस के अलावा एक और इमोशन है- 'सेक्सुअल डिजायर.'

फिलहाल कंटेंट की वजह से ‘वीरे दी वेडिंग’ की खूब चर्चा हो रही है. वैसे इसकी कहानी बिना सिर पैर की है. कुछ ऐसे कि ‘गम में डूबो तो थाईलैंड चले जाओ. ब्रेकअप हो तो नशे में डूब जाओ. असल …

Read More »

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com