अगर गूगल को तकनीक का दूसरा नाम कहा जाए तो गलत नहीं होगा। गूगल आज एक सेवा नहीं बल्कि जरूरत बन चुका है। गूगल सर्च इंजन, गूगल एप, जीमेल समेत कई सेवाएं हैं जिन्होंने तकनीक की परिभाषा बदल दी। गूगल की मौजूदा कामयाबी के बीच एक ऐसा चेहरा रहा जो खामोशी से अपने काम को करता रहा और कंपनी को कामयाबी के शिखर पर पहुंचा दिया। हम बात कर रहें हैं गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई की। हम आपको सुंदर पिचाई के बारे में कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं, जिन्हें पढ़ने के बाद आपको पता चलेगा कि दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक गूगल के सीईओ ने कैसे इस मुकाम को हासिल किया।
भारत में हुआ था जन्म: सुंदर पिचाई का असली नाम पिचाई सुंदरराजन है। इनका बचपन तमिलनाडु के चेन्नई में बीता। पिचाई के पिता इलेक्टॉनिक इंजीनियर थे। पिचाई एक सामान्य परिवार से आते हैं।
तेज याददाश्त: सुंदर पिचाई की याददाश्त बचपन से ही काफी तेज थी। उनके परिवार वालों के मुताबिक पिचाई किसी का नंबर लिखते ही उसे याद कर लेते थें। उन्हें डायल किया हर नंबर याद रहता था।
खेलों के शौकीन है पिचाई: सुंदर पिचाई जब 2015 में भारत आये थे, जब उन्होने नई दिल्ली में एक क्रिकेट मैच खेला था। पिचाई जब चेन्नई गए तब उन्होने हाई स्कूल टीम की कप्तानी की थी।
शिक्षा: सुंदर पिचाई ने स्कूल से शिक्षा पाने के बाद खड़गपुर के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की। इसके बाद उन्होने स्टेनफोर्ड से एमएस और व्हार्टन यूनिवर्सिटी से एमबीए की डिग्री हासिल की।
गूगल से कब जुड़े: गूगल ने सुंदर पिचाई को इंटरव्यू के लिए साल 2004 में बुलाया था। खास बात ये थी कि 1 अप्रैल को सुंदर पिचाई का इंटरव्यू था। पिचाई ने बाद में बताया भी है कि उन्हें लगा था कि गूगल की तरफ से ये इंटरव्यू किसी तरह का प्रैंक है। पिचाई को ‘गूगल क्रोम’ और ‘क्रोम ओएस’ को लीड करने के लिए गूगल में बुलाया गया था। पिचाई गूगल ड्राइव, जीमेल, और गूगल मैप्स में भी शामिल थे।
ट्विटर और माइक्रोसॉफ्ट ने दिया था ऑफर: सुंदर पिचाई को ट्विटर की तरफ से 2011 में अप्रोच किया गया था, लेकिन उन्होने गूगल छोड़ने से इंकार कर दिया। सुंदर पिचाई को माइक्रोसॉफ्ट की तरफ से भी अप्रोच किया गया था लेकिन पिचाई गूगल के साथ बने रहे।