छह जून को हुई आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की समीक्षा बैठक में आरबीआई ने आम जनता को बड़ा तोहफा देते हुए रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (आरटीजीएस) और नेशनल इलेक्ट्रिक फंड ट्रांसफर (एनईएफटी) के जरिये होने वाला लेन-देन निशुल्क कर दिया था। अब केंद्रीय बैंक ने घोषणा की यह नियम एक जुलाई से लागू होगा। आरटीजीएस और एनईएफटी करने पर ग्राहकों से चार्ज वसूलते हैं। ऐसे में ग्राहकों के खाते से अतिरिक्त राशि कटती है। हालांकि अब एक जुलाई से बैंकों को आरबीआई के नियम का पालन करना पड़ेगा, जिसका फायदा ग्राहकों को मिलेगा। RTGS का मतलब है रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट सिस्टम। ‘रियल टाइम’ का मतलब है तुरंत। मतलब जैसे ही आप पैसा ट्रांसफर करें, कुछ ही देर में वह खाते में पहुंच जाए। आरटीजीएस दो लाख रुपये से अधिक के ट्रांसफर के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
भारत का सबसे बड़ा सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) आरटीजीएस के तहत पैसा भेजने पर पांच से 50 रुपये का शुल्क लेता है। NEFT का मतलब है नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर। इंटरनेट के जरिये दो लाख रुपये तक के लेन-देन के लिए एनईएफटी का इस्तेमाल किया जाता है। इसके जरिये किसी भी शाखा के किसी भी बैंक खाते से किसी भी शाखा के बैंक खाते को पैसा भेजा जा सकता है।
बस इकलौती शर्त ये है कि भेजने वाले और पैसा पाने वाले, दोनों के पास इंटरनेट बैंकिंग सेवा का होना जरूरी है। अगर दोनों खाते एक ही बैंक के हैं तो सामान्य स्थिति में कुछ सेकेंड्स के अंदर पैसा ट्रांसफर हो सकता है। आरबीआई अब तक आरटीजीएस और एनईएफटी लेन-देन पर एक लेवी बैंकों से लिया करता था और बदले में बैंक अपने ग्राहकों से यह पैसा वसूलते थे। अब यह लेवी की व्यवस्था हटा ली गई है।
बस इकलौती शर्त ये है कि भेजने वाले और पैसा पाने वाले, दोनों के पास इंटरनेट बैंकिंग सेवा का होना जरूरी है। अगर दोनों खाते एक ही बैंक के हैं तो सामान्य स्थिति में कुछ सेकेंड्स के अंदर पैसा ट्रांसफर हो सकता है। आरबीआई अब तक आरटीजीएस और एनईएफटी लेन-देन पर एक लेवी बैंकों से लिया करता था और बदले में बैंक अपने ग्राहकों से यह पैसा वसूलते थे। अब यह लेवी की व्यवस्था हटा ली गई है।