भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा कल 6 दिसंबर को होने वाली द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक पर सबकी नजरें टिकी हुई है. इसमें प्रमुख ब्याज दरों में बदलाव नहीं करने की संभावना जताई जा रही है. जबकि दूसरी ओर सरकार की ओर से इस बार ब्याज दरों में कटौती का दबाव काफी बढ़ गया है. देखना यह है कि रिजर्व बैंक क्या फैसला लेता है.
उल्लेखनीय है कि आरबीआई ने अक्टूबर में भी रेपो दर और रिवर्स रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया था. आरबीआई ने इससे पहले अगस्त में रेपो दर में 0.25 आधार अंकों की कटौती की थी. अक्टूबर की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में गवर्नर उर्जित पटेल ने बाहरी और वित्तीय मोर्चों की अनिश्चितताओं को लेकर चौकस रहने की जरूरत पर ज़ोर दिया था. वहीँ दूसरी ओर प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की सदस्य अशीमा गोयल ने आरबीआई के लिए कहा कि वह महंगाई के प्रति कुछ ज्यादा ही डरा हुआ है. गोयल के अनुसार अभी ब्याज दरों में एक फीसदी तक कमी की जा सकती है.
बता दें कि एमपीसी ने 4 अक्टूबर को हुई अपनी पिछली बैठक में रेपो रेट को छह फीसदी पर कायम रखा था. वहीँ रिवर्स रेपो रेट को 5.75 फीसदी पर रखा था.जबकि इस बार की बैठक के पूर्व जापान की वित्तीय सेवा कंपनी नोमुरा की रिपोर्ट के अनुसार अब लागत दबाव थोड़ा बढ़ने से खुदरा महंगाई दर आगामी महीनों में चार फीसदी के लक्ष्य से ऊपर पहुंचने की आशंका को देखते हुए, ब्याज दरों में बदलाव की उम्मीद नहीं है. सबकी नज़रें अब कल की बैठक पर लगी हुई है.
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