किसान आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में मुनाफे वाली खेती में काले चावल यानी ब्लैक राइस की फार्मिंग के उदाहरण दिए। आइए जानते हैं क्या है काला चावल और कितना मुनाफा दे रही है इसकी खेती…
नई दिल्ली। किसान आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कृषि के क्षेत्र में सरकार की ओर से उठाए गए कदमों की जानकारी दी। प्रधानमंत्री ने किसानों को मुनाफे वाली खेती के उदाहरण भी दिए। उन्होंने कहा कि सरकार के प्रयासों और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर से किसानों को कितना लाभ हो रहा है। इसका एक बेहतरीन उदाहरण चंदौली का काला चावल यानी ब्लैक राइस है। यह चावल किसानों के घरों में समृद्धि लेकर आ रहा है। आइए जानते हैं क्या है काला चावल और कितना मुनाफा दे रही है इसकी खेती…
विशेष प्रकार के तत्व एथेसायनिन के कारण काले चावल का रंग काला होता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो इसमें एंटीआक्सीडेंट ज्यादा होता है। यही नहीं इसमें विटामिन ई, फाइबर और प्रोटीन भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। मोटापा दूर करने में यह काफी लाभकारी माना जाता है। यह हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्राल, आर्थराइटिस, एलर्जी से जूझ रहे मरीजों के लिए किसी औषधि से कम नहीं है। इसमें फाइटो केमिकल की मौजूदगी कालेस्ट्राल के स्तर को नियंत्रित करने में मददगार होते हैं। इसके सेवन से हार्ट अटैक की स्थिति कम हो जाती है।
आयुर्वेद के जानकार बताते हैं कि काले चावल के सेवन से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। विशेष एंटी आक्सीडेंट त्वचा और आंखों के लिए और फाइबर पाचन तंत्र के लिए लाभकारी होता है। मौजूदा वक्त में यूपी के मिर्जापुर जिले में लगभग 250 किसान इसकी खेती कर रहे हैं। वहीं चंदौली जिले में इस साल करीब 500 हेक्टेयर जमीन पर किसानों ने काला चावल की खेती की है। कृषि के जानकार बताते हैं कि काले धान की खेती में आठ से 10 कुंतल प्रति बीघे की पैदावार संभव है। काला चावल 285 रुपए प्रति किलो तक बिक जाता है।
मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में भी काले चावल की अच्छी पैदावार हो रही है। किसानों की मानें तो इसकी खेती पानी की बचत में भी मददगार है। इस चावल की मांग देश विदेशों में खूब है। देश में तमिलनाडु, बिहार, राजस्थान, मुंबई, हरियाणा में इसकी अच्छी डिमांड है। मौजूदा वक्त में ऑनलाइन यह लगभग 300 से 350 रुपए प्रति किलो तक बिक रहा है। इस चावल की खेती में 20 से 25 हजार रुपए प्रति एकड़ की लागत आती है। यह धान के दूसरे किस्मों की तरह ही 120 से 130 दिन की होती है।