उन्होंने कहा, ‘एक कारक यह है कि पिछले 30-40 वर्षों में भारत और पाकिस्तान के द्विपक्षीय वार्ता में बहुत सारी ऊर्जा और समय निवेश किया है लेकिन यह द्विपक्षीय वार्ता कश्मीरियों के लिए मृग मरीचिका ही साबित हो रहे हैं क्योंकि इसका कोई परिणाम नहीं निकलता.’ खान ने कहा कि दूसरी वजह यह है कि बातचीत के ‘टाइमटेबल’ पर भारत का वीटो है. उन्होंने कहा, ‘वह अपनी मर्जी से बातचीत शुरू करते हैं और जब उन्हें रास नहीं आता वह पाकिस्तान पर आतंकवाद का आरोप लगा देते हैं.’ खान ने दावा किया कि पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर में कोई आतंकवादी नहीं है.