शंभू व खनौरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन को लेकर शनिवार को महापंचायत हुई। इसके बाद किसान नेताओं ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता को जबरदस्ती धरना स्थल से उठाया तो अंजाम ठीक नहीं होगा।
खनौरी बॉर्डर पर शनिवार को किसानों की महापंचायत हुई। इसमें शामिल होने के लिए पंजाबभर से भारी संख्या लोग पहुंचे। अंदाजा है कि एक लाख से ज्यादा लोग अपने किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को सुनने पहुंचे। 40 दिन से भूखे-प्यासे डल्लेवाल किसानों को संबोधित करने जैसे ही स्टेज पर पहुंचे, लोगों ने तालियां बजाकर और सत् श्री अकाल के जयघोष से उनका स्वागत किया।
उन्होंने कहा कि पुलिस ने उन्हें आंदोलन से उठाने की कई कोशिशें की, लेकिन नौजवानों ने मोर्चा संभाले रखा जिस वजह से वो अपने मंसूबों में सफल नहीं हो पाए। भविष्य में सरकार हमला कर उन्हें आंदोलन से उठा न सके, इसके लिए पंजाब के हर गांव से एक ट्रॉली भरकर युवा आंदोलन में पहुंचें।
डल्लेवाल ने भारी संख्या में आंदोलन में शामिल होने के लिए किसानों का धन्यवाद किया। कहा कि अगर लोगों का उन्हें इसी तरह साथ मिलता रहा तो सरकारें चाहे जितना मर्जी जोर लगा लें, हर हाल में जीत किसानों की ही होगी। इस दौरान डल्लेवाल ने कहा-उन्हें पता चला है कि महापंचायत में आते समय हुए सड़क हादसों में कईं किसानों को चोटें आई हैं। वह दुआ करते हैं कि किसी का कोई जानी नुकसान न हो और सभी अपने घरों को सुरक्षित वापस लौट जाएं।
बॉर्डरों पर संख्या कम न होने दें
किसान नेता सरवण सिंह पंधेर ने कहा कि केंद्र व पंजाब सरकारें कभी भी बॉर्डरों की तरफ रुख कर सकती हैं, इसलिए किसानों से अपील है कि बॉर्डरों पर गिनती कम न होने दें। साथ ही साफ किया कि अगर डल्लेवाल को जबरन उठाने की कोशिश की, तो फिर सरकारों को किसानों की लाशों पर से गुजरना पड़ेगा।
कर्ज में डूबे सात लाख किसान कर चुके हैं आत्महत्या
डल्लेवाल ने कहा कि देशभर में कर्जों के कारण करीब सात लाख किसान आत्महत्याएं कर चुके हैं। भविष्य में और कोई किसान आत्महत्या न करे,इसलिए यह आंदोलन शुरू किया गया है। किसानों को घट रहे जलस्तर के लिए निशाने पर लिया जाता है। अगर एमएसपी की कानूनी गारंटी मिल जाती है, तो यह समस्या भी हल हो जाएगी।
अन्य राज्यों के किसान भी साथ आएं
डल्लेवाल ने पहले किसानी आंदोलन पर कहा कि देश के अन्य राज्यों के किसान नेता उलाहना देते थे कि पंजाब लड़ाई को बीच में छोड़कर चला गया। इस उलाहने को दूर करने के लिए किसानी आंदोलन 2.0 की शुरुआत की गई है। इस आंदोलन की जीत के लिए जरूरी है कि देश के बाकी राज्यों के किसान भी इस लड़ाई में उनका सहयोग करें।
साथियों ने ज्यादा बोलने से रोका, नहीं माने डल्लेवाल
मंच से संबोधन के दौरान अन्य किसान नेताओं ने डल्लेवाल को ज्यादा बोलने से रोकने की कोशिश भी की, लेकिन वह नहीं माने। एक तो कड़ाके की ठंड और ऊपर से मंच पर शिफ्ट करने के कारण डल्लेवाल का ब्लड प्रेशर ऊपर-नीचे हो रहा था। बताया जा रहा है कि मंच पर लाए जाने के कुछ घंटे पहले डल्लेवाल की ईसीजी भी कराई गई। हालांकि इसकी रिपोर्ट सामान्य बताई जा रही है।
केंद्र के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे किसान
किसान नेता काका सिंह कोटड़ा ने इस मौके ऐलान किया कि दोनों किसान जत्थेबंदियों ने सर्वसम्मति से फैसला लिया है कि अगले बड़े एक्शन के तहत 10 जनवरी को देश भर में केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ पुतले फूंके प्रदर्शन किए जाएंगे। यह प्रदर्शन हर गांव, हर कसबे व हर शहर में किए जाएंगे। इस दौरान एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग के साथ कर्जे माफ करने समेत अन्य सभी प्रमुख मांगों को उठाया जाएगा।
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