हाईकोर्ट ने कहा कि भारत में कन्या भ्रूण हत्या चिंताजनक मुद्दा है, खासकर देश के इस हिस्से में। चिंताजनक पहलू अनैतिक चिकित्सकों की संलिप्तता है, जो अपनी ली शपथ का उल्लंघन करते हुए, गुप्त रूप से लिंग निर्धारण परीक्षण करते हैं, जिससे यह गंभीर अपराध संभव हो पाता है।
अवैध लिंग निर्धारण रैकेट चलाने के हिसार निवासी आरोपी को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने जमानत से इनकार करते हुए उसकी याचिका को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि कन्या भ्रूण हत्या देश की एक गंभीर समस्या है और हरियाणा व पंजाब में स्थिति चिंताजनक है।
हिसार निवासी डा. अनंत राम ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए पूर्व-गर्भाधान एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम, 1994 (पीसी एंड पीएनडीटी अधिनियम) के तहत दर्ज एफआईआर में जमानत की मांग की थी।
याची पर आरोप है कि पंजाब और हरियाणा में बड़े पैमाने पर अवैध लिंग निर्धारण रैकेट चलाते हैं। अज्ञात स्थानों पर पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन का उपयोग कर इसे अंजाम दिया जाता है। ग्राहकों को इन स्थानों पर ले जाने से पहले कथित तौर पर आंखों पर पट्टी बांध दी जाती थी, ताकि पता न चले स्थान कौन सा है।
याचिकाकर्ता सात अन्य आपराधिक मामलों में भी शामिल था, जिनमें से पांच पीसी एंड पीएनडीटी अधिनियम के तहत समान अपराधों से संबंधित थे। राज्य के वकील ने दलील दी कि याचिकाकर्ता के दिसंबर 2023 में जांच में शामिल होने के बावजूद, वह पूरी तरह से असहयोगी रहा है और लिंग निर्धारण परीक्षण करने में उसके द्वारा इस्तेमाल किए गए लैपटाप और पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन को सौंपने में विफल रहा है।
सरकारी वकील ने यह भी दावा किया कि भले ही याचिकाकर्ता को जांच में सहयोग करने के लिए कई अवसर दिए गए थे, लेकिन चूंकि वह ऐसा करने में विफल रहा है, इसलिए वर्तमान मामले में उसे हिरासत में लेकर पूछताछ की आवश्यकता है। सरकार की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील की इस दलील को खारिज कर दिया कि पीसी एंड पीएनडीटी अधिनियम के तहत अपराधों के लिए एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती थी।
कोर्ट ने कहा कि कुछ डाक्टर अपनी नैतिक प्रतिबद्धताओं और चिकित्सा पद्धति के सिद्धांतों के साथ विश्वासघात करते हुए गुप्त रूप से ये परीक्षण करते हैं। इनमें से कुछ चिकित्सक लालच से प्रेरित होकर कन्या भ्रूण के विनाश में भागीदार बन जाते हैं।