मधुबनी। यूं तो दुनियाभर में कई तरह की अजब-गजब परंपराएं जिंदा हैं। इ
नके बारे में जानकर कई बार आश्चर्य होता है तो कई बार गुस्सा भी आता है। हालांकि, कई ऐसी प्रथाएं हैं जो आज के समय में बंद हो गईं हैं, लेकिन फिर भी कुछ ऐसी परंपराएं आज भी जिंदा हैं, जो वास्तव में लोगों को चौंकाने वाली हैं। इन्हीं में से एक है बिहार के मधुबनी में हर साल लगने वाला दूल्हों का मेला।
इस मेले की खासियत यह है कि हर साल लगने वाले इस मेले में दूल्हे बिकने के लिए आते हैं। हैरान मत होइए, आप बिल्कुल सही पढ़ रहे हैं एक मेला जहां, हर साल दूल्हों की खरीज-बिक्री होती है। स्थानीय लोगों के अनुसार, यह मेला अभी हाल के समय में नहीं बल्कि 1310 ई. से लगता आ रहा है।
बिहार में मेले की शुरुआत मिथिला नरेश ने की
इस मेले में दूल्हों के खरीददार यानी लड़की के माता-पिता अपनी बेटी के लिए योग्य वर को पसंद करते हैं। फिर दोनों पक्ष एक-दूसरे की पूरी जानकारी हासिल करते हैं। लड़का और लड़की व परिवार वालों की रजामंदी से रजिस्ट्रेशन करवाकर इनकी शादी करवाई जाती है।
जानकार बताते हैं कि मेले की शुरुआत तत्कालीन मिथिला नरेश हरि सिंह देव ने सन 1310 ई. में की थी। इसके पीछे मकसद था दहेज प्रथा को रोकना। हालांकि, आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में इस मेले का महत्व कम हो गया है। अब इस मेले में वही परिवार शिरकत करते हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं।
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