ब्रह्माण्ड के ग्रहों पर रिसर्च चलती ही रहती है और ऐसे में नई नई जानकारी सामने आती रहती है. ऐसे ही हाल ही में आई एक रिपोर्ट में अमेरिका के नेशनल एयर स्पेस म्यूजियम ने चंद्रमा के सिकुड़ने की बात कही है. इसके अंदरूनी सतह ठंडी होने की वजह से पिछले करोड़ों सालों में पृथ्वी का यह उपग्रह 50 मीटर तक सिकुड़ चुका है. ये बात रिसर्च में सामने आई है जिस पर चिंता का विषय बन रहा है. आइये आपको भी बता दें इसके बारे में.
दरसल, अमेरिका के नेशनल एयर एंड स्पेस म्यूजियम के वैज्ञानिक थॉमस वेटर्स के अनुसार, चंद्रमा की सतह पर झुर्रियां कुछ उसी तरह से दिखाई पड़ती हैं, जैसे अंगूर के किशमिश बनने के दौरान दिखाई देती हैं. हालांकि, दोनों में केवल इतना अंतर है कि अंगूर की बाहरी सतह लचीली होती है, जबकि सिकुड़ने पर चंद्रमा की सतह फटने लग जाती है. इसकी वजह से अब वहां भूकंप आ रहे हैं. इनमें से कुछ की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 5 तक आंकी गई है. यह रिपोर्ट नेचर जियोसाइंस जर्नल में प्रकाशित हुई है.
चंद्रमा पर बन रहे हैं थर्स्ट फॉल्ट
वेटर्स का कहना है कि सिकुड़न पैदा होने से उपग्रह पर थर्स्ट फॉल्ट बनने लगे हैं. इस प्रक्रिया में चंद्रमा की एक सतह दूसरी पर चढ़ने लग जाती है. इनकी वजह से ही वहां तीव्र गति के भूकंप आ रहे हैं. उनका कहना है कि थर्स्ट फॉल्ट का आकार सीढ़ियों की तरह से होता है. तकरीबन 10 मीटर ऊंचे फॉल्ट कई किमी में फैले हुए हैं.