मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव जारी किया है। यह प्रस्ताव विधानसभा की कार्यवाही के दौरान कांग्रेस विधायक दल द्वारा पेश किया गया। अध्यक्ष सीतारमण शर्मा के खिलाफ प्रस्ताव जारी करते हुए अजय सिंह, राम निवास रावत और डॉ गोविंद सिंह ने कहा कि विधानसभा के कार्य संसदीय कार्य मंत्री के इशारे पर हो रहे हैं। उनसे उम्मीद की जाती है कि वह भेदभाव नहीं करेंगे पर यहां भेदभाव होता है। विपक्ष की आवाज को दबाया जाता है। आपको बता दें कि विधानसभा में प्रीति रघुवंशी की आत्महत्या के मामले पर चर्चा चल रही थी। इस चर्चा के दौरान ही काफी हंगामा होने लगा जिसके बाद कार्यवाही 1 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। प्रीति की आत्महत्या का मामला इसलिए अधिक चर्चा में है क्योंकि वह मध्यप्रदेश के पीडब्ल्यूडी मंत्री रामपाल सिंह की बहू थीं। जिन्होंने फांसी लगाकर जान दे दी थी। सुसाइड का कारण मंत्री के बेटे गिरजेश की दूसरी शादी को बताया गया। इस बात की शिकायत प्रीति के पिता चंदन सिंह ने की और बताया कि मंत्री द्वारा उनकी बेटी को प्रताड़ित किया जाता था।
शोरगुल के ही बीच बसपा की उषा चौधरी ने क्लर्क कर्मचारी वर्ग को समय पर वेतन न मिलने का भी मुद्दा उठाया। हंगामे के बीच जब कोई मंत्री जवाब नहीं दे सका तो एक मंत्री लाल सिंह ने कहा कि अनुसूचित जाति की महिला को सवाल करने से रोका जा रहा है। यह निची जाति की महिला को रोकने का षडयंत्र है क्योंकि कांग्रेस अनुसूचित जाति विरोधी है। जानकारी के मुताबिक कांग्रेस ने प्रीति रघुवंशी के परिवार को धमकाने का मामला उठाया था। तो इस पर संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि थाने में कोई रिपोर्ट डाली गई है क्या कि ये सत्य है?
स्पीकर सीतारमण शर्मा का कहना है कि विपक्ष के सारे आरोप गलत हैं। सदन में कानून का पूरी तरह से पालन करते हुए ही कार्यवाही होती है। स्पीकर ने यह भी कहा कि विपक्ष सदन को राजनीति का अखाड़ा बना रहा है। प्रश्नकाल को चलने नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि विधायकों को विशेषाधिकार का हनन नहीं करना चाहिए।