माइक्रोसॉफ्ट 2020 के आसपास अपने बिंग सर्च इंजन को आईफोन निर्माता एपल को बेचने पर विचार कर रहा था। अगर यह डील हो जाती तो आप आईफोन से लेकर आईपैड तक में डिफॉल्ट सर्च इंजन के रूप में बिंग को जगह मिल सकती थी। रिपोर्ट के अनुसार, माइक्रोसॉफ्ट के अधिकारियों ने एपल के सर्विसेस चीफ एडी क्यू से भी मुलाकात की थी।
माइक्रोसॉफ्ट ने रखा था बिंग को बेचने का प्रस्ताव
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, माइक्रोसॉफ्ट के अधिकारियों और एपल के एडी क्यू की बिंग अधिग्रहण की बात कभी अगले चरण तक नहीं पहुंची। इसका दो प्रमुख कारण बताएं गए थे कि गूगल डील एपल को मिलने वाला बिजनेस और दूसरा प्रमुख कारण गूगल सर्च और बिंग के क्वालिटी और फीचर्स को लेकर था। उस समय तक और अभी भी सर्च इंजन के मामले में गूगल का राज है। बता दें कि माइक्रोसॉफ्ट ने अपने सर्च इंजन बिंग को साल 2009 में पेश किया था। लेकिन बिंग मार्केट में खुद को स्थापित नहीं कर पाया।
गूगल और एपल की साझेदारी
गूगल को पहली बार 2002 में एपल के सफारी ब्राउजर में डिफॉल्ट सर्च इंजन के रूप में उपयोग किया गया था और तब से इस साझेदारी को कई बार संशोधित किया गया है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट और अमेरिकी न्याय विभाग के आंकड़ों के अनुसार,एपल ने 2020 तक दोनों कंपनियों के बीच समझौते से लगभग 4 बिलियन डॉलर से 7 बिलियन डॉलर का बिजनेस अर्जित किया।
ये भी बताते चलें कि एपल के अपडेटेड रेवेन्यू एग्रीमेंट के साथ गूगल पर वापस जाने से पहले 2013 और 2017 के बीच सिरी और स्पॉटलाइट के अंदर बिंग को डिफॉल्ट वेब सर्च इंजन के रूप में उपयोग किया था।
एपल को मनाने की कोशिश में लगा है माइक्रोसॉफ्ट
हाल ही में, माइक्रोसॉफ्ट के विज्ञापन और वेब सर्विस के प्रमुख, मिखाइल पारखिन ने गूगल एंटीट्रस्ट ट्रायल के दौरान गवाही दी कि एपल ने कभी भी आईफोन के लिए डिफॉल्ट सर्च इंजन के रूप में बिंग पर स्विच करने पर गंभीरता से विचार नहीं किया।