यदि जानना है वैशाली का इतिहास तो आना पड़ेगा बिहार, जानें पूरी बात

यदि जानना है वैशाली का इतिहास तो आना पड़ेगा बिहार, जानें पूरी बात

पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बुद्ध स्मृति स्तूप जो पटना म्यूजियम में रखा हुआ है, वह वैशाली से मिला है। दुनियाभर में जितने बौद्ध धर्मावलंबी हैं या भगवान बुद्ध की सब चीजों को जानते हैं उनके लिए वैशाली ही एक ऐसी जगह है, जहां से भगवान बुद्ध के अंतिम संस्कार के बाद जो चीजें मिली हैं, वे उनके लिए प्रामाणिक मानी जाती हैं।

बुद्ध स्मृति स्तूप पत्थर के बनाए जा रहे हैं ताकि लंबे समय तक कायम रह सके। लोग वैशाली के इतिहास को जानने के साथ ही यहां पाई गई चीजों को बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय में देख सकेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बड़ी संख्या में विदेशों से पर्यटक बोधगया और राजगीर आते हैं। वैशाली को इससे लिंक करने से यहां भी बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक आएंगे। वैशाली को बौद्ध सर्किट से जोड़ने के लिए राज्य सरकार को केंद्र सरकार का भी सहयोग मिल रहा है। यहां जब बुद्ध स्मृति स्तूप बन कर तैयार हो जाएगा तो पर्यटक सिर्फ बोधगया में आकर ही नहीं लौटेंगे बल्कि वैशाली भी आएंगे।  

वैशाली के तालाब का ऐतिहासिक महत्व-

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना के कारण यहां निर्माण कार्य अवरुद्ध था, जो फिर से शुरू हो गया है, इसी का हम जायजा लेने आए हैं। उन्होंने कहा कि कोविड वैक्सीन आने के बाद बड़ी संख्या में टूरिस्ट एक बार फिर से पर्यटन स्थलों पर पहले की तरह आने लगेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि वैशाली के तालाब का भी ऐतिहासिक महत्व है। इस तालाब का ऐसा ऐतिहासिक महत्व था कि लोग इसमें स्नान करने के बाद ही कार्यक्रम में बैठते थे। उसी को ध्यान में रखकर इसका पुनर्स्थापना कराया जा रहा है। हम लोगों की इच्छा है कि यहां चल रहे निर्माण कार्य तेजी से पूर्ण हो ताकि अधिक से अधिक संख्या में यहां पर्यटक आ सकें।

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