Google Doodle: बैंगनी डाई की खोज करने वाले विलियम हैनरी पर्किन को गूगल ने ऐसे किया याद
Google Doodle: बैंगनी डाई की खोज करने वाले विलियम हैनरी पर्किन को गूगल ने ऐसे किया याद

Google Doodle: बैंगनी डाई की खोज करने वाले विलियम हैनरी पर्किन को गूगल ने ऐसे किया याद

नई दिल्ली: गूगल आज ब्रिटिश केंमिस्ट सर विलियम हेनरी पर्किन का 180 वां जन्मदिन मना रहा है. विलियम हेनरी को दुनिया ‘mauveine’ यानि की पहला सिंथेटिक डाई के आविष्कार के लिए जानती है. महज 18 साल की उम्र में पर्किन ने दुनिया को पहली सिंथेटिक डाई से रूबरू कराया था. आज उनके 180वें जन्मदिन पर डूडल ने बैंगनी रंग का डूडल बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी है.Google Doodle: बैंगनी डाई की खोज करने वाले विलियम हैनरी पर्किन को गूगल ने ऐसे किया याद

गलती से की थी खोज 

पेशे से केमिस्ट पर्किन का जन्म 12 मार्च 1838 को इंग्लैंड में हुआ था और उन्होंने दुर्घटनावश पहली सिंथेटिक डाई, ‘मौविइन’ की खोज की थी. गूगल का यह डूडल दुनिया के कई देशों में देखा जा सकता है. गूगल ने अपनी ब्लॉग पोस्ट में लिखा है, ‘एक 18 साल के लैबरेटरी असिस्टेंट पर्किन अपने एक असफल प्रयोग के बाद बीकर में पड़े गहरे रंग के पदार्थ को साफ कर रहे थे और तभी उन्होंने ध्यान दिया कि जब उसे अल्कोहल के साथ मिक्स किया तो पदार्थ ने बैंगनी रंग का निशान छोड़ दिया.

इस खोज के बाद उन्होंने इसका पेटेंट कराने के बाद बड़े स्तर पर इस डाई का व्यापारिक उत्पादन शुरू कर दिया, जिसका नाम मौविइन रखा गया. पर्किन को उनकी खोज के 50 साल पूरे होने पर 1906 में नाइट की उपाधि से भी नवाजा गया था. गूगल ने यह भी बताया है कि सर विलियम हेनरी पर्किन की इस खोज की टाइमिंग भी गजब की थी, क्योंकि उस समय टेक्सटाइल इंडस्ट्री बहुत तेजी से बढ़ रही थी. उस समय बैंगनी रंग के कपड़े काफी स्टाइलस समझे जाते थे लेकिन ये लोगों के लिए काफी महंगे थे और जल्द ही फीके भी पड़ जाते थे.

 फैशन इंडस्ट्री की फेवरिट डाई 

डाई बनाने के बाद पर्किन काफी अमीर और सफल लोगों में गिने जाने लगे और बाद में फिर से वह लैब में रिसर्च करने लगे. पर्किन की खोज के बाद एक समय मौविइन काफी सस्ता, लोगों की पहुंच में रहने वाला फैशन इंडस्ट्री का फेवरिट डाई बन गया. अपने आविष्कार के लिए पर्किन को कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया.

उन्हें फेलो ऑफ द रॉयल सोसाइटी के लिए चुना गया. रॉयल और डेवी मेडल से भी पर्किन को सम्मानित किया गया. उनके आविष्कार की 50वीं जयंती पर साल 1906 में उन्हें क्वीन द्वारा नाइट का खिताब दिया गया. इसके एक साल बाद ही निमोनिया और अपेंडिक्स फट जाने से उनकी मृत्यु हो गई.

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