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बिहार केसरी श्रीकृष्ण सिंह की जयंती पर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने केंद्र व राज्य सरकार पर हमला करते हुए कहा कि भी लालू किसी से डरने वाला नहीं है। भाजपा से सीधी लड़ाई लड़ूंगा। उन्होंने कहा कि सुनने में आ रहा है कि 2018 में ही चुनाव होगा। 
ज्ञान भवन के बापू सभागार में कांग्रेस की लड़ाई पर लालू प्रसाद ने कहा कि जब भी कोई नया अध्यक्ष बनता है, तो तकरार होने लगती है। कांग्रेस में आंतरिक लड़ाई को दूर करने की जरूरत है। उन्होंने कांग्रेस को नसीहत दी कि वह गुटबाजी को दूर कर लें। 

वहीं लालू ने पीएम मोदी के केदारनाथ यात्रा पर कहा कि मोदी केदारनाथ में जय केदार-जय केदार बोल रहे थे। ऐसा बोल रहे थे लगता था जैसे केदार बाबा उनके छोटे भाई हो। 

मिट्टी घोटाले की निगरानी जांच पर लालू प्रसाद ने कहा कि सृजन में फंसने से नीतीश और सुशील मोदी अभी डरे हुए हैं। इससे वे भटक रहे हैं। भाजपा नीतीश को सपेरा जैसा नचा रहा है। 

उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बेटे जय शाह पर भी तंज कसते हुए कहा कि उनकी कंपनी की एक ही साल में 16 हजार गुना ट्रांजक्शन बढ़ गया, लेकिन सीबीआई, ईडी, आईटी केवल उनकी फैमिली के लिए है।

उल्लेखनीय है कि बिहार केसरी श्रीबाबू की जयंती राजधानी के दो बड़े सभागार में आयोजित हुई। बाबू सभागार में लालू यादव समर्थक कांग्रेस नेता अखिलेश प्रसाद सिंह श्रीबाबू के उत्तराधिकारी बनने का दावा किया तो एसकेएम हॉल में भाजपा का आशीर्वाद प्राप्त भूतपूर्व विधान पार्षद महाचंद्र प्रसाद सिंह ने खुद को श्रीबाबू का उत्तराधिकारी बताने का काम किया। दोनों कार्यक्रमों को आयोजित करने वाली संस्थान का नाम भी लगभग एक समान ही था। 

अखिलेश सिंह ने अपने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में लालू यादव को आमंत्रित किया था। वहीं  महांचद्र प्रसाद सिंह के कार्यक्रम में मेघालय के राज्यपाल गंगा प्रसाद और पूर्व सीएम जीतनराम मांझी थे, लेकिन मंच की पहचान भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ही थे।  

महांचद्र प्रसाद सिंह ने अपने कार्यक्रम को राजग के कार्यक्रम के रूप में प्रचारित किया था, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहीं नजर नहीं आए।

श्रीबाबू के नाम पर दोनों सभागारों से विरोधियों पर तीर भी छोड़े गए।  सुशील कुमार मोदी ने कांग्रेस के वरीय नेता अखिलेश प्रसाद सिंह पर निशाना साधा। मोदी ने कहा कि श्रीकृष्ण सिंह का सपना उनकी ही पार्टी ने तोड़ा था। 

कांग्रेस और राजद के शासन में ही श्रीबाबू के द्वारा शुरू की गई योजनाएं बंद होती गईं। उन्होंने ज्ञान भवन में अखिलेश सिंह द्वारा आयोजित जयंती कार्यक्रम पर चुटकी लेते हुए कहा कि जिन लोगों ने श्री बाबू को भुलाया उनके विचारों का गला घोंटा वहीं लोग आज उनकी जयंती मना रहे हैं। 

 

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