नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने सोमवार को प्रदूषण नियंत्रण और लोगों के स्वास्थ्य के मद्देनजर 7 से 30 नवंबर तक पटाखे जलाने/फोड़ने पर रोक लगाने की मांग पर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) से जवाब मांगा है। ट्रिब्यूनल ने इसके अलावा, दिल्ली पुलिस आयुक्त, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान सरकारों को भी नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है।
एनजीटी प्रमुख जस्टिस ए.के.गोयल की अगुवाई वाली पीठ ने एक जनहित याचिका पर यह जवाब मांगा है। याचिका में दिल्ली एनसीआर में तेजी से बढ़ते प्रदूषण और इससे लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले कुप्रभावों के मद्देनजर 7 से 30 नवंबर तक पटाखों के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग की गई है। इसके साथ ही पीठ ने वरिष्ठ वकील राज पंजवानी और शिवानी घोष को इस मामले में न्याय मित्र नियुक्त करते हुए कानूनी पहलुओं पर सुझाव और पीठ की मदद करने का आग्रह किया है।
ट्रिब्यूनल गैर सरकारी संगठन इंडियन सोशल रेस्पॉन्सिबिलिटी नेटवर्क की ओर से वकील संतोष गुप्ता द्वारा दाखिल याचिका पर विचार करते हुए यह आदेश दिया है। याचिका में कहा गया है कि दिल्ली-एनसीआर पहले से ही प्रदूषण की स्थिति खराब बनी है और हवा की गुणवत्ता बेहद खराब है। साथ ही कहा है कि यदि पटाखों के इस्तेमाल पर रोक नहीं लगाया गया तो कोरोना महामारी के मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ स्थिति भी बिगड़ेगी।
याचिका में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और दिल्ली स्वास्थ्य मंत्री के उन बयानो का भी हवाला दिया गया है जिसमें कहा गया है कि त्योहारी सीजन के दौरान वायु प्रदूषण के कारण कोरोना के मामले तेजी से बढ़ने की संभावना है।